करीब दो दशक तक जोगी परिवार के कब्जे में रहे मरवाही विधानसभा को कांग्रेस इस बार के उपचुनाव में हर हाल में अपने पाले में लाना चाहती है। इसके लिए सरकार और संगठन दोनों ही जी-जान से जुट गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मरवाही का इतिहास बदलने पहले नक्शा बदला और अब विकास के द्वार खोल दिए हैं। संयुक्त मध्यप्रदेश में पोर्ते परिवार की परंपरागत सीट रही मरवाही को अजीत जोगी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहते 2001 में भाजपा से छीनी थी। 69 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी मरवाही जीत का जिम्मा मंत्री जयसिंह अग्रवाल को दिया है। ” समवेत सृजन” से विशेष बातचीत में जयसिंह अग्रवाल ने कहा – अब तक जोगी परिवार को कांग्रेस के नाम पर ही वोट मिले। जोगी परिवार ने इलाके को उपेक्षित रखा। अब कांग्रेस को विकास के नाम से वोट मिलेंगे। कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुद्दा विकास ही रहेगा।
मरवाही को जोगी परिवार का गढ़ माना जाता है। अजीत जोगी के निधन के बाद लोगों की सहानुभूति का लाभ उनके पुत्र अमित जोगी को मिलने की बात कही जा रही है। क्या मानते हैं आप ?
अजीत जोगी को कांग्रेस के कारण ही मरवाही में वोट मिलते रहे हैं। पिछला चुनाव भी उन्होंने जनता को कांग्रेस के नाम पर भ्रमित कर जीता था। अजीत जोगी में लोगों को लुभाने की कला थी और वे बातचीत में भी माहिर थे। यहाँ की जनता अब समझ चुकी है और जिस तरह की समस्याएं लेकर लोग आ रहे हैं , उससे नहीं लगता कि लोगों का जोगी परिवार के प्रति कोई सहानुभूति है। अमित जोगी तो 2013 से 2018 तक मरवाही के विधायक थे। लोग उन्हें जान चुके हैं। अमित जोगी जानते थे कि वे 2018 विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएंगे, इस कारण वे चुनाव नहीं लडे और अजीत जोगी को लड़ना पड़ा।
भूपेश बघेल की सरकार मरवाही उपचुनाव जीतने के लिए गोरेला-पेंड्रा- मरवाही जिला बनाने के साथ कई और प्रशासनिक इकाइयां बनाने का फैसला कर दिया है। क्या यह सब चुनाव की दृष्टि से ही किया जा रहा है।
देखिये, गोरेला-पेंड्रा- मरवाही के लोग जिला बनाने की मांग काफी समय से कर रहे थे। अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे, फिर भी इस दिशा में कदम नहीं उठाया और 15 साल तक भाजपा का भी शासन रहा, उसने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। भूपेश बघेल की सरकार ने लोगों की मांग और इच्छा को पूरी की है। निश्चित ही उपचुनाव में इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा।
गोरेला-पेंड्रा- मरवाही इलाके में चाय -चौपाल का मकसद क्या है ? इसका उपचुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा ?
देखिये, चाय -चौपाल के जरिये सरकार के मंत्री और कांग्रेस के लोग इस इलाके के लोगो से रूबरू हो रहे हैं। उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और उनकी तकलीफों को दूर कर रहे हैं। यह इलाका अब तक उपेक्षित था। चाय -चौपाल में लोग राशनकार्ड, वब अधिकार पट्टा, पेंशन, प्रधानमंत्री आवास और राजस्व के मामले लेकर आ रहे हैं। अब तक 17,500 आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15,500 लोगों की समस्याओं का निराकरण कर दिया गया है। लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिदिन समीक्षा भी की जा रही है। वन पट्टे और राशन कार्ड के ज्यादा मामले आये हैं, जिनमें 12 से अधिक लोगों के राशन कार्ड बना दिए गए हैं और साढ़े 11 हजार लोगों के वन पट्टे बन गए हैं।
क्या लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी अमले को लगाया गया है?
नहीं, कांग्रेस के वालिंटियर्स लोगों से संपर्क कर लोगों की समस्याओं को समझ रहे हैं और उनसे आवेदन ले रहे हैं, फिर उन आवेदनों को प्रशासन के पास भेजकर निराकरण करवाया जा रहा है।
2018 के विधानसभा चुनाव में तो मरवाही सीट पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी। अब उपचुनाव में कांग्रेस कैसे जीत के लिए पूरी तरह दम ठोंक रही है और उसे जीत का पूरा भरोसा है ?
यह सही है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी , लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्त्ता कांग्रेस में आ चुके हैं और अब अजीत जोगी नहीं रहे। अजीत जोगी नेता और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चल रहे थे। अमित जोगी से लोग दूरी बनाने लगे हैं। इस कारण उपचुनाव में कांग्रेस की स्थिति मजबूत रहेगी।
मरवाही उपचुनाव में मुख्य मुद्दा क्या होगा ?
मरवाही में कांग्रेस विकास को ही मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस की सरकार ने ही क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित मांग जिला बनाने को पूरी की। पेयजल की समस्या का समाधान किया। सरकार ने कुछ महीने के भीतर ही गांव-गांव पानी पहुँचाने का काम किया। आज इस इलाके का कोई व्यक्ति पेयजल के लिए परेशान नजर नहीं आता। जिला खनिज निधि से स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास किया। प्रशासनिक इकाइयों के गठन से सरकार के प्रति लोगों का नया विश्वास पैदा हुआ है और जनता मानने
लगी है कि भूपेश बघेल की सरकार विकास करने वाली सरकार है। क्योंकि भाजपा राज में 15 साल में कुछ नहीं हुआ और अजीत जोगी ने भी कुछ नहीं किया। कांग्रेस के पास लोगों को दिखने और बताने के लिए काम है। भाजपा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के पास विकास के नाम से कुछ नहीं है।