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अहोई अष्टमी आज: पुत्रों की दीर्घायु तथा सौभाग्य के लिए माताएं करेंगी निर्जला व्रत

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अपने पुत्रों की दीर्घायु तथा सौभाग्य के लिए माताएं निर्जला व्रत करती हैं। अहोई अष्टमी पर्व वास्तव में माता और पुत्र के बीच प्रेम का परिचायक है। यदि निःसंतान महिलाएं इस व्रत को करें तो उन्हें भी पुत्र की प्राप्ति होती है।

अहोई अष्टमी मुहूर्त

इस बार अहोई अष्टमी 5 नवंबर यानि आज मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 4-5 नवंबर को अर्द्धरात्रि बाद 12.59 बजे आरंभ होगी तथा उसका समापन 6 नवंबर को प्रातः 3.18 बजे होगा। इस बार पूजा का मुहूर्त 5 नवंबर को सायं 5.33 बजे से 6.52 बजे तक रहेगा।

अहोई अष्टमी पर बन रहा रवि पुष्य योग का स्वयं सिद्ध मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी पर रवि पुष्य नक्षत्र का भी शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन सुबह 6.36 बजे से सुबह 10.29 बजे तक रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। साथ ही सुबह 6.36 बजे से 10.29 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इन मुहूर्तों में किए जाने वाले सभी कार्य स्वयंसिद्ध होते हैं।

ऐसे करें अष्टमी व्रत पर पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान की पूजा करें तथा पुत्र की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना से अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प करें। संकल्प के बाद मां पार्वती की पूजा कर साही तथा उसके सात पुत्रों की दीवार पर तस्वीर बनाएं।

अब उनके सामने चावल, मूली, सिंघाड़ा आदि पूजन सामग्री रख कर अहोई अष्टमी की कथा सुनें। दिन में निर्जला व्रत करें और शाम को चित्रों की पूजा कर तारों को अर्ध्य दें। इससे पुत्रों को सौभाग्य प्राप्त होता है।

अहोई अष्टमी पर न करें ये कार्य

पारंपरिक रूप से अहोई अष्टमी पर कुछ कार्यों को करने की स्पष्ट मनाही की गई है। ऐसा करने पर पूजा का फल नष्ट हो जाता है। इस दिन सुई, कील, चाकू जैसी नुकीली या धारदार वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

साथ ही इस दिन किसी भी अनाथ, बुजुर्ग, भिखारी, रोगी, दिव्यांग आदि का मजाक भी नहीं उड़ाना चाहिए। विशेषकर घर के बड़ों को अपमानित करना या उनके साथ झगड़ा करना पूजा के पूरे फल को नष्ट कर देता है।

 

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