Close

छठी मैया को बहुत पसंद हैं ये 6 फल, पूजा के डागर और सूप में करें शामिल

भगवान सूर्य और छठी मैया की उपासना का यह पारंपरिक महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। दीपावली और भाई दूज के बाद यह महापर्व शुरू होता है। लाखों लोगों के आस्था का प्रतीक यह महा पर्व इस साल 18 नवंबर को मनाया जाएगा। भारत में यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बहुत ही हर्षोल्ला के साथ मनाया जाता है। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की पूजन सामग्री में कई तरह की चीजों को दउरा या डागर और सूप में शामिल किया जाता है। डागर और सूप में ऐसी कई चीजें हैं, जिसे रखना बहुत महत्वपूर्ण है। छठ के प्रसाद के लिए घरों में ठेकुआ, लड्डू और कई तरह फल शामिल किए जाते हैं। सभी चीजों के अलावा डागर में इन 6 फलों को शामिल करना बहुत जरूरी है, इसके बिना पूजन संपन्न नहीं होती है, तो चलिए बिना देर किए जानते हैं इन 6 तरह की फलों के बारे में…

अतर्रा या डाभ नींबू
डाभ या अतर्रा नींबू सामन्य नींबू से बड़ा होता है। इसका आकार बड़ा होने के कारण इसे जानवर नहीं खाते और पेड़ का नुकसान नहीं होता। बता दें कि ये डाब नींबू छठी मईया को बहुत प्रिय है इसलिए पूजन सामग्री और डागर में नींबू जरूर रखा जाता है।

केला

वैसे तो केला भगवान विष्णु का प्रिय फल है। बता दें की केला का फल छठी मइया (छठी मइया के लिए प्रसाद) को बहुत पसंद है इसलिए केला को भी डागर और सूप में रखकर छठी मइया को अर्पित किया जाता है। छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए केला अर्पित किया जाता है।

श्री फल
नारियल जिसे श्री फल कहा जाता है। इस फल का छठ पूजा में विशेष महत्व है। कच्चा या सूखा नारियल को सूप और डागर में रखा जाता है। नारियल शामिल करने को लेकर मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और व्रती के ऊपर अपनी कृपा बनए रखती है।

सिंघाड़ा
कार्तिक मास में कच्चा सिंघाड़ा भरपूर मात्रा में मिलता है। यह एक मौसमी फल है, जो माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इसे छठी मइया को अर्पित करने को लेकर मान्यता है कि घर में खुशहाली और धन संपदा बनी रहती है।

सुथनी
सुथनी का स्वाद खाने में शकरकंद की तरह होता है। पूजन सामग्री में सुथनी को शामिल करने को लेकर मान्यता है कि यह फल बहुत पवित्र और शुद्ध होता है। यह शकरकंद और आलू की तरह जड़ से निकाला जाता है। सुथनी कई तरह के औशधीय गुणों से भरपूर होता है।

गन्ना
गन्ना के बिना छठ पूजा को अधूरा माना गया है। लोग घाठ, नदी और पूजन स्थल में गन्ना को बांध कर खड़ा किया जाता है। गन्ना को रखने को लेकर मान्यता है कि परिवार में मधुरता और मिठास बनी रहती है।

scroll to top