एक साल और करीब आठ दिन बाद डी एम अवस्थी सरकार की मुख्यधारा में फिर शामिल हो गए हैं। भूपेश बघेल की सरकार ने शुक्रवार रात आदेश जारी कर राज्य के सबसे वरिष्ठ आईपीएस डी एम अवस्थी को आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो का मुखिया बनाया है। अवस्थी साहब यहां तीसरी बार आ रहे हैं। 1986 बैच के आईपीएस डी एम अवस्थी करीब तीन साल राज्य के पुलिस प्रमुख रहे। भूपेश सरकार ने ही उन्हें दिसंबर 2018 में डीजीपी बनाया था और राज्य में ख़राब कानून-व्यवस्था के आधार पर नवंबर 2021 में पुलिस प्रमुख के पद से हटाकर पुलिस ट्रेनिंग अकादमी भेज दिया, उनकी जगह उनसे तीन साल जूनियर 1989 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा को राज्य का पुलिस मुखिया बना दिया। लूपलाइन से मेन ट्रैक में अवस्थी साहब की वापसी को कुछ लोग बड़ी घटनाक्रम के रूप में ले रहे हैं , तो कुछ लोग इसके राजनीतिक मायने भी निकाल रहे हैं। ईओडब्ल्यू और एसीबी सरकार का चेहरा सवारने और दिखाने वाली संस्था है। यह संस्था सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करती है। भूपेश सरकार के चार साल में इस संस्था की कमान संभालने वाले डी एम अवस्थी छठे अफसर होंगे। इसी से इस संस्था का महत्व पता चलता है। राज्य में ताबड़तोड़ ईडी ( प्रवर्तन निदेशालय ) के छापे और जाँच के बीच राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी में वरिष्ठतम पुलिस अफसर की पोस्टिंग कर भूपेश सरकार ने बड़ा संदेश दिया है। ईओडब्ल्यू और एसीबी ने ही भाजपा राज में नान घोटाला उजागर किया था। अब नान घोटाला नया रूप और नया मोड़ ले लिया है, साथ ही पेचीदा भी हो गया है । नान घोटाले की दिशा कुछ थी और अब वह दूसरी दिशा में जा पहुंची है। मामला सुप्रीम कोर्ट में हिचकोले खा रहा है। नान घोटाले को सही दिशा देने की जिम्मेदारी अब डी एम अवस्थी पर है। अपने अनुभव और संपर्क से सरकार को कितना फायदा दिला सकते हैं, यह देखना है। करीब छह माह बाद रिटायर होने वाले डी एम अवस्थी पर सरकार ने फिर भरोसा जताया है, यह बड़ी बात है।
कांग्रेसी नेता की जिद
कहते हैं भानुप्रतापपुर सीट के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा में देरी एक नेता की जिद के चलते हुई। हालांकि नेताजी की जिद पूरी नहीं हुई और पी एल पुनिया और दूसरे नेताओं ने सावित्री मंडावी के नाम पर ही मुहर लगाईं। खबर है कि राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय जिले के एक नेता भानुप्रतापपुर उपचुनाव में अपने चहेते व्यक्ति को प्रत्याशी बनवाना चाहते थे, जबकि प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम तीनों ही स्व. मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी को पार्टी उम्मीदवार बनाने के लिए एकमत थे। इसके चलते प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक दो बार करनी पड़ी। पहली बैठक में जितने नाम आए थे, सभी को हाईकमान भेज दिया गया। दूसरी बैठक में सावित्री मंडावी और वीरेश ठाकुर का पैनल बनाकर भेजा गया। कहा जा रहा है कि कांकेर जिले के नेता को कोई नाराज नहीं करना चाहता था। यही वजह है कि सब कुछ पहले से तय होने के बाद भी कांग्रेस ने नामांकन दाखिले के एक दिन पहले ही अपने प्रत्याशी की घोषणा की।
ओ पी माथुर का आगमन
लंबे इंतजार के बाद भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर का 21 नवंबर को छत्तीसगढ़ की धरती में पांव पड़ने वाले हैं। खांटी संघी नेता का कुछ लोग पलक पावड़े बिछाकर इंतजार कर रहे हैं, तो कुछ लोग आशंकित भी हैं। उत्साहित लोग छत्तीसगढ़ में भाजपा की हालत बयां करने के लिए उत्सुक हैं , तो सशंकित लोगों को पत्ता कटने का भय सत्ता रहा है। ओम प्रकाश माथुर भाजपा के पुराने और कद्दावर नेता हैं, काफी वरिष्ठ भी हैं। डी. पुरन्देश्वरी या अनिल जैन जैसे मध्यक्रम के नेता नहीं हैं। कहते हैं ओम प्रकाश माथुर जी जहां के प्रभारी रहते हैं, वहां सब कुछ उनके मन मुताबिक ही चलता है। कहा जा रहा है छत्तीसगढ़ में भी ओम प्रकाश माथुर जी पूरे अधिकार लेकर आ रहे हैं। माथुर जी का टारगेट 2023 में यहां भाजपा की सत्ता में वापसी है। प्रदेश प्रभारी के तौर पर ओम प्रकाश माथुर अपनी पहली यात्रा में छत्तीसगढ़ में चार दिन बिताएंगे। बैठक करेंगे, नेता-कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत भी मिलेंगे। इसके बाद दूसरी-तीसरी यात्रा में उनका रुख लोगों को समझ आएगा।
ईडी की प्राथमिकता में छत्तीसगढ़
कहते हैं प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा है। खबर है कि संयुक्त संचालक स्तर के एक अफसर की जल्द पोस्टिंग होनी है, जो सीधे दिल्ली को रिपोर्ट करेगा। वैसे ईडी ने कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार करने के बाद कोई बड़ा धमाका नहीं किया है। वह कोयला परिवहन और खरीदी -बिक्री करने वाले व्यापारियों से लगातार पूछताछ कर रहा है। कुछ दिन पहले ईडी और आयकर की टीम ने रायगढ़ और सक्ती के कोयला कारोबारियों के ठिकानों में छापे मारे थे। चर्चा है कि ईडी की पूछताछ में रायपुर के एक कोयला कारोबारी का ब्लड प्रेशर काफी बढ़ गया, तो एक कारोबारी डर के मारे गश खाकर गिर पड़े । कुछ देर बाद होश आया तो ईडी की टीम ने पूछताछ की।
पुलिस में नया प्रयोग
वैसे तो पहले भी छत्तीसगढ़ में आईजी इंटेलिजेंस को आईजी रायपुर रेंज का प्रभार दिया जाता रहा है। मुकेश गुप्ता आईजी इंटेलिजेंस के साथ आईजी रायपुर रेंज रहे। डॉ. आनंद छाबड़ा के पास भी दोनों चार्ज रहा, लेकिन इस बार रायपुर रेंज को ही दो हिस्सों में बांट दिया गया है, जो कि नया प्रयोग है। रायपुर रेंज का रायपुर जिला आईजी अजय यादव इंटेलिजेंस के साथ देखेंगे। इस रेंज के बाकी जिले याने महासमुंद, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद और धमतरी शेख आरिफ हुसैन देखेंगे, जिन्हें सरकार ने प्रभारी आईजी बनाया है। अभी तक ईओडब्ल्यू और एसीबी के प्रभारी के तौर शेख आरिफ पूरा प्रदेश देख रहे थे। सरकार ने अब उन्हें चार जिले में सीमित कर दिया है। लोगों में चर्चा है कि शेख आरिफ का मुख्यालय कहां होगा और क्या सरकार चार जिलों का नया रेंज बनाने जा रही है। सरकार ने आईजी इंटेलिजेंस के नाते पूरे प्रदेश देखने वाले डॉ. आनंद छाबड़ा को दुर्ग रेंज में बांध दिया। सरकार ने बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी को झटका दे दिया, उन्हें पुलिस प्रशिक्षण अकादमी चंद्रखुरी का डायरेक्टर बना दिया है। पुलिस के फेरबदल में सरकार ने अजय यादव और रामगोपाल गर्ग का कद बढ़ा दिया है। अजय यादव रेंज से स्टेट लेवल के अफसर बन गए हैं, वहीं रामगोपाल गर्ग को डीआईजी राजनांदगांव से सरगुजा जैसे बड़े रेंज की कमान मिल गई। रायपुर के एसएसपी रहते पुरानी बस्ती थाने की एक घटना के बाद अचानक हटाए गए अजय यादव का अब आई जी इंटेलिजेंस के नाते मुख्यमंत्री से रोजाना वास्ता होगा। एक साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अजय यादव के सामने पॉलिटिकल इंटेलिजेंस की बड़ी चुनौती होगी।
हिमशिखर गुप्ता को लाभ
2007 बैच के आईएएस हिमशिखर गुप्ता को वाणिज्यिक कर और योजना, आर्थिक सांख्यकीय विभाग का भी जिम्मा सौंपे जाने को उनके भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति में नहीं जाने और छत्तीसगढ़ में रहने का लाभ के रूप में देखा जा रहा है। 1995 बैच के आईएएस गौरव द्विवेदी इन दोनों विभागों के प्रमुख सचिव थे। गौरव द्विवेदी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर चले गए, उन्हें पांच साल के लिए प्रसार भारती का सीईओ बनाया गया है। हिमशिखर गुप्ता अभी विशेष सचिव हैं और उनके पास पहले ही वाणिज्य एवं उद्योग एवं सहकारिता विभाग का स्वतंत्र प्रभार है। वाणिज्यिक कर और योजना, आर्थिक सांख्यकीय विभाग मिलने से हिमशिखर गुप्ता और वजनदार हो गए।
पुलिस अधीक्षकों की लिस्ट जल्दी ही
कहा जा रहा है पुलिस में शीर्ष स्तर पर बड़े बदलाव के बाद अब जल्द जिला स्तर में परिवर्तन होगा। वैसे शुक्रवार शाम को मंत्रालय में कई जिलों के एसपी बदले जाने की खबर उड़ी थी, लेकिन एसपी की जगह आईजी की लिस्ट निकल गई। कई जिलों में पदस्थ एसपी लंबे समय से अलग-अलग जिलों में हैं, उनकों बदले जाने की खबर है। इसी के साथ कुछ जिलों के कलेक्टर भी इधर से उधर किए जा सकते हैं।
कलेक्टरों में फोटो की होड़
ज़माना सोशल मीडिया का है, हर कोई फेसबुक-व्हाट्सअप में अपनी तस्वीर डालकर लोगों के बीच अपनी धाक ज़माना चाहते हैं। इसमें भला आईएएस अफसर या कलेक्टर कैसे पीछे रह सकते हैं। चर्चा है कि आजकल राज्य के कुछ कलेक्टर काम से ज्यादा फोटो खिंचवाने और सोशल मीडिया में डालने में विश्वास करते हैं। कहते हैं कुछ कलेक्टर सड़कों के पेचवर्क काम की जानकारी अपने जिले में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के अफसरों से मांग रहे हैं और पेचवर्क काम के साथ अपना फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं। कुछ मंत्री और अपने आला अफसरों को भेज रहे हैं। सरकार ने सड़कों के गड्डे भरने की जिम्मेदारी और निगरानी कलेक्टरों के सुपुर्द कर दिया है , ऐसे में उन्हें कुछ रिकार्ड तैयार करना ही होगा।