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कही-सुनी (3 JULY-22) : कांग्रेस संगठन और सरकार में तनातनी

(रवि भोई की कलम से)


कहा रहा है प्रदेश में कांग्रेस संगठन और सरकार में शीतयुद्ध चरम पर पहुंच गया है। चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सरकार से जुड़े लोगों की इच्छा के खिलाफ कई फैसले ले लिए, जिसके चलते संगठन और सरकार में तालमेल गड़बड़ा गया है। कुछ लोगों को उम्मीद थी कि तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद मोहन मरकाम की अध्यक्ष पद से विदाई हो जाएगी। मोहन मरकाम ने 29 जून को अध्यक्ष के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। कहा जा रहा है कि आगे भी उन्हीं के अध्यक्ष बने रहने की संभावना है। चर्चा है कि मोहन मरकाम ने जिस तरह संगठन महासचिव के पद पर अपने विश्वस्त को बैठाया है, वैसे ही सभी प्रमुख पदों पर अपने विश्वस्त लोगों को बैठाने की तैयारी है। संगठन में बैठे पुराने लोगों के सफाए से संगठन और सरकार के बीच की दीवार और मोटी होने का कयास लगाया जा रहा है। अब देखते हैं आगे क्या होता है ?

चर्चा में विधायक जी का बंगला

वैसे तो जनप्रतिनिधियों का अहम काम और जिम्मेदारी जनता की सेवा और उनके हितों की रक्षा करना होता है। जनता की सेवा करते-करते अपना भला आम बात है। कहते है राज्य के एक विधायक ने अपना ऐसा भला कर लिया है कि वे अब लोगों की आँखों में चुभने लगे हैं। चर्चा है कि ये महाशय पहली बार विधायक बने हैं और वह भी ग्रामीण इलाके से, फिर भी उनका शौक महानगर में रहने वालों को मात देने लगा है। खबर है कि विधायक जी के पास पहले से ही कई गाड़ियां हैं, पर उन्होंने एक और महंगी और लक्जरी गाडी के लिए नंबर लगाया हुआ है। कहा जा रहा है कि विधायक जी अपने विधानसभा मुख्यालय में रहने के लिए शहरी स्टाइल का आलीशान बंगला बनवा रहे हैं, जिसे देखकर लोगों की आँखे फटी-की-फटी रह जा रही है। खबर है कि विधायक जी का बंगला करीब चार एकड़ में बन रहा है। भव्य और विशाल बंगला बनवाने में करोड़ों रुपए तो खर्च होंगे ही, इस कारण उन्हें इलाके में करोड़पति विधायक कहा जाने लगा है।

राहुल देव को पुरस्कार

कभी-कभी गलतफहमी में गलत फैसला कर लिया जाता है, लगता है ऐसा ही कुछ 2016 बैच के आईएएस राहुल देव के साथ हो गया और अब सरकार ने उन्हें मुंगेली का कलेक्टर बनाकर पुरस्कृत कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने करीब दो महीने पहले अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में शिकायत के आधार पर राहुल देव को सूरजपुर के सीईओ के पद से हटा दिया था। कहते हैं राहुलदेव पर गड़बड़ी का आरोप जनता से ज्यादा कांग्रेस के नेताओं ने लगाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल एक्शन लिया। चर्चा है कि आईएएस लाबी एक्शन से सहमत नहीं थी। मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखा और राहुलदेव का काम बन गया। राहुलदेव मूलतः सरगुजा जिले के रहने वाले हैं। राहुलदेव की पत्नी भावना गुप्ता अभी सरगुजा की पुलिस अधीक्षक हैं। वे पश्चिम बंगाल आईपीएस कैडर छोड़कर छत्तीसगढ़ कैडर में आईं हैं।

कलेक्टरों की लंबी छलांग

कहा जा रहा है संजीव झा, तारणप्रकाश सिन्हा और पुष्पेंद्र मीणा ने कलेक्टरी में लंबी छलांग मारी है। वैसे तो 2011 बैच के आईएएस संजीव झा अब तक सरगुजा के कलेक्टर थे, लेकिन कोरबा जिले की कलेक्टरी का आनंद अलग ही है। कई अफसरों का नाम कोरबा कलेक्टर के लिए चल रहा था। संजीव झा का नाम नहीं था, लेकिन लाटरी उनके नाम लग गई। राजनानंदगांव के कलेक्टर रहे तारणप्रकाश सिन्हा को फ़िलहाल सबसे बड़ा और औद्योगिक महत्व वाला जिला जांजगीर-चांपा मिला है, जिसे उनकी तरक्की माना जा रहा है। श्री सिन्हा जांजगीर-चांपा के सीईओ रह चुके हैं। चुनावी दृष्टि से संवेदनशील इस जिले को वे अच्छी तरह समझते हैं। पुष्पेंद्र मीणा कोंडागांव से दुर्ग के कलेक्टर बनाए गए। वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के गृह जिले से मुख्यमंत्री के गृह जिले पहुँच गए हैं। कहा जा रहा है 2023 के विधानसभा चुनाव को देखकर ही पुष्पेंद्र मीणा को दुर्ग लाया गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के नजरिए से दुर्ग राजनीतिक उठापटक वाला जिला है।

कोरबा नहीं, तो रायगढ़ ही सही

राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा कलेक्टर रानू साहू के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। जयसिंह अग्रवाल, रानू साहू के खिलाफ पत्र लिखने के साथ-साथ कांग्रेस हाईकमान में शिकायत कर आए थे। मंत्री और अफसर की जंग में सरकार अखाडा बन गया था और विपक्ष को तीर छोड़ने का मौका मिल गया था। कहते हैं सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए रानू साहू को रायगढ़ का कलेक्टर बना दिया। चर्चा है कि रायगढ़ भी कोरबा से उन्नीस नहीं है। जयसिंह अग्रवाल और रानू साहू के विवाद को देख-सुनकर रायगढ़ से वास्ता रखने वाले मंत्री जी अभी से सतर्क हो गए हैं।

गौरव सिंह का फिर जिला बदला

आमतौर पर अफसरों को जिले और अपने मातहतों को समझने में एक-दो महीने तो लग ही जाते हैं, लेकिन 2013 बैच के आईएएस गौरव सिंह कामकाज समझने के बाद बैटिंग शुरू करते हैं कि उनका जिला बदल दिया जाता है। खबर है कि वे धान के अलावा अन्य फसलों के लिए मुंगेली में मुहिम तेज कर रहे थे कि उनका जिला बदल दिया। कहते हैं सूरजपुर में भी उनके साथ ऐसा ही हुआ और अब मुंगेली में भी ऐसा ही हो गया। सरकार ने उन्हें तीन महीने के भीतर ही मुंगेली से हटाकर बालोद का कलेक्टर बना दिया। खबर है कि गौरव सिंह के ट्रांसफर के खिलाफ मुंगेली के लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम एडिशनल कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। भले इस ज्ञापन का कोई खास महत्व नहीं लगता, पर जनभावना उनके साथ दिखती है। अब देखते हैं वे बालोद में कितना समय बिताते हैं।

सभी से नहीं मिलीं मेधा ?

सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर के रुख से हसदेव अरण्य क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों का एक समूह नाराज बताया जाता है। कहते हैं हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान का विरोध करने पहुंची मेधा पाटकर इलाके में ही रहने वाले खनिज समर्थक लोगों से बात तक नहीं की, जबकि वे लोग मेधा पाटकर से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहते थे और ज्ञापन भी सौंपना चाहते थे। 29 जून को मेधा पाटकर हसदेव अरण्य क्षेत्र के हरिहरपुर गांव पहुंचकर धरने पर बैठे लोगों से मिलकर लौट आईं । चर्चा है कि मेधा के साथ वहां पहुंचे लोग ही उन्हें दूसरे आदिवासियों और खनिज समर्थकों से मिलने नहीं दिया। इससे मेधा पाटकर के सामने पूरी वस्तुस्थिति सामने नहीं आ पाई।

अब पुलिस अधीक्षकों की बारी

सरकार ने 28 जून को डेढ़ दर्जन जिलों के कलेक्टर बदल दिए। कहा जा रहा है कि यह बदलाव चुनाव की दृष्टि से किया गया है। खबर है कि अब पुलिस अधीक्षकों की पोस्टिंग में हेरफेर होगी। माना जा रहा है जिस तरह दो-ढाई साल से एक ही जगह पदस्थ कलेक्टरों की पोस्टिंग बदली गई है और कुछ नए लोगों को मौका दिया गया है , उसी तरह आईपीएस अफसरों में हेरफेर होगा। कुछ आईपीएस लंबे समय से अलग-अलग जिलों में पदस्थ हैं,उन्हें इधर-उधर किया जा सकता है। कुछ नए लोगों को मौका मिलने की खबर है।

आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग बदलने के संकेत

चर्चा है कि जल्द आईएफएस अफसरों का रिसफल हो सकता है। 30 जून को पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी एसएस बजाज की सेवानिवृति के अलावा पूर्व में रिटायर एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों का पद खाली है। इसके अलावा फील्ड में भी निचले स्तर के कई अधिकारी रिटायर हो गए हैं , उनकी जगह नई पोस्टिंग करनी है। इसके चलते वन विभाग के अफसरों की सूची का इंतजार है।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


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