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सफलता की कहानी:परकोलेशन टैंक से सहेज ली पानी की एक-एक बूंद, भूमिगत जलस्तर में वृद्धिकर ग्रामीणों के भविष्य को किया सुरक्षित

० मनरेगा से पामगढ़ के पनगांव में परकोलेशन टैंक ने भूमिगत जल संरक्षण, संग्रहण के साथ गांव में जॉब कार्डधारियों को रोजगार
० नरवा प्रोजेक्ट के तहत खैरा नाला पर बनाया गया परकोलेशन टैंक
जांजगीर-चांपा। जीवन में पानी का बहुत महत्व है, और इसका एहसास तब होता है जब हमें पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ता है, इसलिए पानी को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए वर्तमान में उस बह जाने वाली बूंद को सहेजना बहुत जरूरी है, और इस बहुमूल्य पानी को सहेजने का काम नरवा प्रोजेक्ट के तहत चयनित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने किया है। योजना से पनगांव से बहने वाले खैरा नाला के पानी को परकोलेशन टैंक (रिसाव तालाब) बनाकर एकत्रित किया गया है। इसके बनने के बाद से आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर के साथ कुएं, हेंडपंप के जलस्तर में वृद्धि हुई है। इससे मिट्टी में नमी बढ़ी और खेती करने वाले बिहारी, रामकुमार, राजेश जैसे कई किसानों को बेहद खुशी मिली है और योजना से हुए साकार सपने की सराहना करते हुए जल संरक्षण के कार्य को गांव के लिए मिसाल बता रहे हैं।
यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत है, एक समय था जब जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत पामगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत पनगांव से बहने वाला खैरा नाला बारिश के बाद ही सूख जाता था, बमुश्किल ही इसमें ठंड, गर्मी में पानी मिल पाता था। जिसका उपयोग न तो किसान कर पा रहे थे और न ही पशुपालक, ग्रामीण। आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर कम हो जाता था, जिससे हेंडपंप, कुंए भी सूख जाते थे, इन्हीं समस्याओं से जूझते हुए ग्रामीण उधेड़बुन में थे कि कैसे इस खैरा ग्राम पंचायत से पनगांव तक बहने वाले नाले को बारहमासी पानी देने वाले नाले में तब्दील करते हुए भूमिगत जलस्तर को बढ़ाया जाए। इस समस्या से दो-चार हो रहे ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आती थी, इस बहते हुए पानी की रोकथाम करने के लिए ग्रामीणों ने विचार किया। इस विचार को सरपंच श्रीमती शीला देवी रत्नाकर ने महात्मा गांधी नरेगा पामगढ़ के कार्यक्रम अधिकारी सौरभ शुक्ला को बताया। उन्होंने उस क्षेत्र के तकनीकी सहायक हिमांशु गुप्ता, रोजगार सहायक श्रीमती ममता देवी रत्नाकर से पूरी स्थिति की जानकारी लेकर योजना पर चर्चा की। उन्होंने नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी यानी एनजीजीबी के तहत नरवा प्रोजेक्ट के माध्यम से महात्मा गांधी नरेगा से भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने की दिशा में परकोलेशन टैंक का निर्माण करने की बात रखी। ग्रामीणों को बताया कि नाला के पास एरिया ट्रीटमेंट करते हुए सतह से बहने वाले वर्षा जल को सहेजकर रखा जा सकता है। इससे नाला से बहने वाला पानी एकत्रित होगा और आसपास के भूमिगत जल स्तर में सतत रूप से बढ़ोत्तरी होगी। फिर क्या था यह बात सभी को समझ में आ गई और खैरा नाला के पास ही परकोलेशन टैंक (रिसाव तालाब) का निर्माण कराने के लिए तकनीकी प्रस्ताव तैयार कराया गया, जिसे प्रशासकीय स्वीकृति के लिए जिला मुख्यालय भेजा। जिला से प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो ग्रामीणों की उम्मीद बारिश की कीमती बूंदों को एकत्रित करने की दिशा में जागने लगी।


मिला रोजगार तो खिले चेहरे
तकनीकी सहायक  हिमांश गुप्ता ने बताया कि खैरा नाला के आसपास के भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए महात्मा गांधी नरेगा से 18.537 लाख की राशि स्वीकृत दी गई, इस राशि से परकोलेशन टैंक निर्माण एवं आउटलेट, इनलेट तैयार किये गये। जिसमें 210 परिवारों ने अपना पसीना बहाया और परकोलेशन टैंक का निर्माण करते हुए 7 हजार 635 मानव दिवस सृजित किये गये। इस कार्य से जहां जॉबकार्ड धारी परिवारों को गांव में रहते हुए ही रोजगार मिला तो दूसरी ओर आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ गया है। खैरा नाले की लंबाई लगभग 6.10 किलोमीटर है और कैचमेंट एरिया 1839 हेक्टेयर क्षेत्र में है। इसके अलावा इस नाले के आसपास निजी डबरी निर्माण, रिचार्ज पिट, एलबीसीडी निर्माण, प्लाटेंशन के लिए गड्ढा खुदाई की गई। जिससे भूमिगत जलस्तर में इजाफा हुआ है।


मनरेगा से सतत हो रहा जल संरक्षण, संवर्धन का कार्य
जिला कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में सतत रूप से जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। तालाब गहरीकरण, नया तालाब, निजी डबरी निर्माण, पौधरोपण के कार्यों के अलावा नरवा प्रोजेक्ट के माध्यम से बरसाती नालों के संरक्षण पर गंभीरता से निरीक्षण करते हुए ध्यान दिया जा रहा है। नरवा प्रोजेक्ट के तहत नालों पर बोल्डर चेक, अर्दन चेक, चेकडेम, गेबियन, स्टापडेम, डाइक, नाला सफाई, परकोलेशन टैंक आदि कार्य से बेहतर जल संरक्षण हो रहा है।

सभी की सहभागिता का फल
सरपंच श्रीमती शीला देवी रत्नाकर बताती हैं कि जल संरक्षण की दिशा में मनरेगा से परकोलेशन टैंक का कार्य हुआ है, जो गांव ही नहीं बल्कि विकासखण्ड के लिए भी मिसाल बन गया है। इस प्रकार से नाले के पानी का संरक्षण करना काबिले तारीफ है। परकोलेशन टैंक का निर्माण पनगांव गोठान के पास ही किया गया है। जिससे गोठान में पहुंचने वाले पशुओं के लिए भी पानी संचय हुआ है। परकुलेशन टैंक के निर्माण होने से भूमिगत जल स्तर में इजाफा हुआ है, जिससे लोगों में योजना के प्रति विश्वास जागा है।

भूमिगत जल स्तर बढ़ने से मिला फायदा
बिहारीलाल रत्नाकर, राजेश रत्नाकर, रामकुमार दिनकर बताते हैं कि उनके पास खेतीहर जमीन है, खरीफ की फसल के बाद रवि की फसल लेना मुश्किल था। महात्मा गांधी नरेगा से परकोलेशन टैंक बना और भरपूर पानी मिला तो रवि फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि इससे भूमिगत जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है, किसान परकोलेशन टैंक के आसपास खेतों में बाड़ी में लाल भाजी, टमाटर, धनिया, मिर्च के अलावा अन्य मौसमी सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं।

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