० कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने थपथपाई पीठ, मछलीपालन करेंगे नौजवान तो तरक्की पक्की
जांजगीर-चांपा। भला ऐसा कौन होगा जो सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद मछलीपालन के कार्य को अपना कॅरियर बनाएगा, लेकिन एक ऐसे शख्स बलौदा विकासखण्ड के ग्राम ठड़गाबहरा में रहते हैं जिन्होंने इस मिथक को तोड़ा और बताया कि बेहतर पढ़ाई करने के बाद भी व्यावसायिक क्षेत्र में कुशलता के साथ आगे बढ़ा जा सकता है, उन युवाओं के प्रेरणास्रोत गांव में रहते हुए मिसाल दे रहे हैं और गांव ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में फैमस फिसरीमैन बनकर उभरे हैं। जिला कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने उनके किये जा रहे कार्य को विगत दिनों जाकर करीब से देखा और कार्य की सराहना करते हुए उनकी पीठ थपथपाई थी।
जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बलौदा नगर पंचायत के अंतर्गत आने वाले वार्ड नंबर 2 ठड़गाबहरा में सिविल इंजीनियर पास सत्येन्द्र प्रताप सिंह पिता महेन्द्र पाल सिंह जो आज मछली पालन करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन सत्येन्द्र इतने फैमस पहले नहीं थे, वे बताते हैं कि सफलता उन्हें एक दिन में नहीं मिली बल्कि इसके लिए कड़ी मेहनत की तब जाकर परिणाम सामने आया है। परिवार की इच्छा थी कि सिविल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद सरकारी या किसी बड़ी कंपनी में प्राइवेट नौकरी करूं, इसके लिए जमकर तैयारी भी की, लेकिन इसी बीच कोरोना का वह दौर आया जिसने नौकरी के ख्बाव को चकनाचूर कर दिया। नौकरी लगना तो दूर जिनके पास नौकरी थी उनको भी घर पर बैठना पड़ा, इसी बीच बड़े भाई ने मछलीपालन के कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से मछलीपालन का कार्य शुरू किया। जिसमें मछली पालन विभाग से सतत रूप से तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहा साथ ही मछलीपालन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों से भी मार्गदर्शन लिया। वे बताते हैं कि मछली पालन के लिए पहले 2 बायो फ्लॉक बनाए गए, एक-एक टैंक 6 लाख लीटर पानी स्टोरेज का जिसमें 12 लाख रूपए की राशि का खर्चा आया। मछलीपालन एवं बायो फ्लॉक निर्माण की जानकारी लेने के बाद मार्च 2021 में कार्य पूर्ण होने के बाद अप्रैल 2021 में 14 हजार पंगास मछली के बीज डाले। धीरे-धीरे मछली बड़ी होने लगी। इसी बीच दूसरा लॉकडाउन लगा मछली बीज एवं अन्य जरूरी सामान पहले से ही थे तो कोई दिक्कत नहंी आई। अक्टॅूबर 2021 में मछली बेचने योग्य हुई तो बाजार ले गया, जहां पर छोटे व्यापारियों को बेचकर मुनाफा कमाया। इसके बाद मंडी एवं बड़े व्यापारियों को बेचकर मुनाफा होने लगा। मछली पालन करते हुए बीज, दवाईयां, मजदूरी आदि राशि खर्च करने के बाद 30 फीसदी मुनाफा हुआ। जिससे परिवार के जरूरतों को पूरा करते हुए इस साल मिट्टी तालाब का निर्माण भी कराया है। वह बताते हैं कि शुरूआत की है तो पहले साल 10 टन मछली का उत्पादन हुआ है जिसे बेचकर 3 लाख रूपए का शुद्ध लाभ अर्जित हुआ है। इसके बाद मार्च 2022 में फिर मछली बीज डाले हैं इस साल 20 से 25 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ा हूं दोनों बायो फलॉक से मछली का उत्पादन होना शुरू हो गया है, जिसे बेचकर 5 लाख रूपए का मुनाफा होने की उम्मीद है।
कलेक्टर ने कहा युवा आगे आएं तो बदल सकते हैं किस्मत
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा विगत दिनों बलौदा विकासखण्ड के दौरे पर थे, उस समय उन्हें अधिकारियों ने सत्येन्द्र द्वारा किये जा रहे मछली पालन कार्य के बारे में जानकारी दी। कलेक्टर श्री सिन्हा ने युवा सत्येन्द्र द्वारा किये जा रहे इस कार्य को करीब से देखने की इच्छा हुई। बायो फ्लॉक में किये जा रहे मछलीपालन कार्य को देखकर सत्येन्द्र की पीठ थपथपाई और कहा कि आप जैसे युवा जिले ही नहीं बल्कि राज्य के लिए भी मिसाल पेश करते हैं। उन्हांेने सत्येन्द्र से कहा कि वे इस कार्य को गौठान में बनाए जा रहे ग्रामीण औद्योगिक पार्क में कर सकते हैं और दूसरो युवाओं, महिलाओं, ग्रामीणों को भी प्रशिक्षित कर सकते हैं। इस दौरान जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल ने भी सत्येन्द्र द्वारा कराए जा रहे कार्य की सराहना की और रीपा योजना से जुड़कर आगे बढ़ने कहा।
मछली पालन विभाग का मिला सहयोग
मछलीपालन विभाग सहायक संचालक एस.एस.कंवर ने बताया कि सत्येन्द्र और उनके पिता के साहस को देखते हुए मछली पालन विभाग के माध्यम से महेन्द्र पाल सिंह की भूमि में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 0.400 हेक्टेयर में तालाब निर्माण कराया। जिसे शासन की योजना के तहत 2.80 लाख पर 40 प्रतिशत अनुदान की दर से 1.12 लाख का भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा इनपुट्स में मछली बीज, जाल, फीड, दवाईयों पर उनको 64 हजार रूपए की राशि मंजूर की गई। इस योजना का फायदा लेते हुए सत्येन्द्र एवं उनके पिता को विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी सतत रूप से दिया जा रहा है। पंगेशियस प्रजाति की मछली का सघन मत्स्य पालन पद्धति से किया जा रहा है। जिसमें उन्हें 15 सौ किलो ग्राम मछली उत्पादन की उम्मीद है। इसके उत्पादन से 15 लाख रूपये आय होने की संभावना है, इससे उन्हें तकबरीबन 4.50 लाख रूपए का फायदा होगा।