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मेडिकल कॉलेजों में एक साल की औसतन फीस 11.5 लाख रुपये, संसद ने उठाया फीस का मुद्दा

मेडिकल ऑफिसर

नेशनल मेडिकल कमीशन के तहत एक एक्सपर्ट Group ने अपनी तरह का एक पहला सर्वे किया है। इस सर्वे में पाया गया है कि डीम्ड यूनिवर्सिटीज में एक साल की औसत फीस 21 लाख रुपये है। वहीं, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एक साल की औसतन फीस 11.5 लाख रुपये है। इस तरह डीम्ड यूनिवर्सिटीज में फीस प्राइवेट कॉलेजों का दोगुना है। देश में 2023 के लिए एमबीबीएस की सीटों की संख्या 96000 है। इसमें से आधे के करीब प्राइवेट सेक्टर में है। इसमें प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और डीम्ड यूनिवर्सिटीज शामिल हैं।

शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने संसद में एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी। सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, मैनेजमेंट कोटा के तहत सीटों के लिए औसत फीस वही थी, जो प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में सामान्य सीटों के लिए था।

देश में 96,000 एमबीबीएस सीटें

यहां मीडियन का मतलब उस संख्या से है, जो दी गई संख्याओं के बिलकुल बीच में आती है। साल 2023 के लिए देश में लगभग 96,000 एमबीबीएस सीटें हैं, जिनमें से लगभग आधी प्राइवेट सेक्टर में हैं। बता दें कि विशेषज्ञ समूह देश भर में फीस नियामक प्राधिकरणों का मार्गदर्शन कर सकता है। प्रत्येक राज्य से 27 शुल्क नियामक समितियां हैं और प्रत्येक डीम्ड विश्वविद्यालयों से 70 समितियां हैं।

शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष द्वारा संसद को जानकारी उपलब्ध कराई गई

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार द्वारा लिखित जवाब में संसद को उपलब्ध कराई गई जानकारी से पता चलता है कि मैनेजमेंट कोटा के तहत सीटों के लिए मीडियन शुल्क वही था, जो प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में सामान्य सीटों के लिए था। वहीं, एनआरआई कोटा के तहत सीटों के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों में सामान्य सीटों की मीडियन शुल्क 24 लाख रुपये प्रति वर्ष से दोगुना से अधिक था। साथ ही, डीम्ड विश्वविद्यालयों में एनआरआई कोटे की सीटों के लिए औसत फीस सामान्य सीटों की सालाना औसत फीस 31 लाख रुपए की तुलना तुलना में 50 प्रतिशत अधिक थी।

एनआरआई कोटा की सीट दोगुना से ज्यादा

एनआरआई कोटा के तहत सीटों के लिए प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सामान्य सीटों के मुकाबले औसत फीस सालाना 24 लाख रुपये के साथ दोगुना से ज्यादा थी। डीम्ड यूनिवर्सिटीज में एनआरआई कोटे की सीटों के लिए औसत फीस सामान्य सीटों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक थी। ये फीस सालाना 31 लाख रुपये थी।

शिक्षा राज्य मंत्री के जवाब के मुताबिक, सरकारी कोटे की सीटें आमतौर पर कम फीस वाली होती हैं। इन्हें हाई रैंक वाले उम्मीदवारों को दिया जाता है। इस सीट पर फीस प्राइवेट कॉलेज की फीस से काफी कम होती है।

पूरे देश में फीस स्ट्रक्चर में भारी अंतर देखने को मिला

महाराष्ट्र के मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च डिपार्टमेंट के पूर्व प्रमुख डॉ. प्रवीण शिंगारे ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों में विभिन्न कैटेगरी की सीटों के लिए फीस स्ट्रक्चर अलग-अलग है. पूरे देश में फीस स्ट्रक्चर में भारी अंतर देखने को मिला। इससे सरकार के लिए एमबीबीएस के लिए आधारभूत फीस तय करना असंभव हो गया है। इसलिए औसत फीस निर्धारित करने की काम एक्सपर्ट्स कमिटी को सौंपा गया।’

डीम्ड यूनिवर्सिटी में सामान्य फीस का दसवां हिस्सा

संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक, सरकारी कोटे की सीटों के लिए प्राइवेट कॉलेजों में सामान्य फीस का 6 हिस्सा और डीम्ड यूनिवर्सिटी में सामान्य फीस का दसवां हिस्सा है। महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ प्रवीण शिंगारे ने कहा कि विभिन्न राज्यों में विभिन्न श्रेणियों की सीटों के लिए फी स्ट्रक्चर अलग-अलग है। पूरे देश में शुल्क संरचनाओं में भारी अंतर है। इससे सरकार के लिए एमबीबीएस के लिए आधारभूत शुल्क तय करना असंभव हो गया, इसलिए औसत शुल्क निर्धारित करने की कवायद विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई।

 

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