सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के मूल्यांकन में उम्मीद से ज्यादा वक्त लगने से इसका आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) चालू वित्त वर्ष में आने की संभावना कम ही दिख रही है. आईपीओ लाने की तैयारियों से जुड़े एक मर्चेंट बैंकर के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस विशाल सार्वजनिक कंपनी के मूल्यांकन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और इसमें अभी कुछ और वक्त लग सकता है. मूल्यांकन का काम पूरा हो जाने के बाद भी निर्गम से संबंधित कई नियामकीय प्रक्रियाओं को पूरा करने में वक्त लगेगा.
जनवरी-मार्च तिमाही में आएगा आईपीओ
सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी की देखभाल करने वाले विभाग दीपम ने एलआईसी के मूल्यांकन का कार्य मिलिमैन एडवाइजर्स को सौंपा है. इस बीच निवेश एवं परिसंपत्ति प्रबंध विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने भरोसा जताया कि एलआईसी का आईपीओ जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही में ही लाया जाएगा. उन्होंने रविवार को अपने एक ट्वीट में कहा कि आईपीओ से जुड़ी प्रक्रियागत तैयारियां सही चल रही हैं.
जानें क्या है अधिकारियों का दावा
इस सरकारी दावे के उलट मर्चेंट बैंकर के उस अधिकारी का कहना है कि आईपीओ लाने के पहले बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था भारतीय बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से भी अनुमति लेनी होगी. गौर करने वाली बात है कि आईआरडीएआई के प्रमुख का पद करीब सात महीने से खाली पड़ा है.
पहले ही अधिनियम में संशोधन हो चुका
एलआईसी की सूचीबद्धता के लिए सरकार पहले ही एलआईसी अधिनियम में संशोधन कर चुकी है. नए प्रावधानों के तहत एलआईसी में सरकार के पास सूचीबद्धता के पहले पांच वर्षों में न्यूनतम 75 फीसदी हिस्सेदारी बनी रहेगी, लेकिन उसके बाद यह सीमा घटकर 51 फीसदी हो जाएगी.
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