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कब है मोक्षदा एकादशी : भगवान विष्णु की करें आराधना, करें कुछ उपाय मिलेगा मनवांछित फल

हिन्दू धर्म में एकादशी के दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष में हर माह में आने वाली एकादशी की अपनी ही महिमा है। इन्हीं में से एक खास एकादशी है मोक्षदा एकादशी। ये दिन भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है। इसी दिन उन्होंने अपने प्रिय सखा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस उपलक्ष्य में गीता जयंती भी मनाई जाती है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पूरा साल पाठ-पूजा न करे और सिर्फ एकादशी का व्रत करके भगवान विष्णु की आराधना करे तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं।

मोक्षदा एकादशी इस वर्ष 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। हर साल ये शुभ दिन मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है। वैष्णव भक्त इस दिन को वैकुंठ जाने का दिन मानते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्री हरि अपने भक्तों के लिए वैकुण्ठ का द्वार खोल देते हैं। माना जाता है की मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को अंत समय में स्वयं भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर लेने आते हैं।

शास्त्रों के अनुसार वैसे तो मोक्षदा एकादशी का व्रत हर किसी को करना चाहिए लेकिन जो व्रत करने में असमर्थ हों उन्हें मोक्षदा एकादशी के दिन ये भोज्य पदार्थ खाने से परहेज करना चाहिए जैसे लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, चावल और बैंगन।

मोक्षदा एकादशी उपाय:
० मोक्षदा एकादशी के दिन अगर इन उपायों को कर लिया जाए तो सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है।

० मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का दूध, दही, शहद और मिश्री से अभिषेक करें। ऐसा करने से नारायण का आशीर्वाद बना रहता है और करियर बनाने के लिए रास्ते अपने आप खुल जाते हैं।

० एकादशी के दिन पीले रंग की वस्तुएं दान करनी चाहिए क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है। अगर उनकी मनपसंद रंग की वस्तुओं का दान किया जाए तो घर-परिवार पर सदैव उनका आशीर्वाद बना रहता है। इस दिन जितनी भी वस्तुएं दान की जाएं, उनका फल आम दिनों से भी अधिक होता है।

० एकादशी के दिन गाय माता को फल खिलाएं, ऐसा करने से 36 कोटी देवी-देवताओं को भोग लग जाता है और दैवीय कृपा बनी रहती है।

० हर तरह के रोग और दोष से छुटकारा प्राप्त करने के लिए तुलसी अथवा पीपल के पेड़ के पास बैठकर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

० श्रीकृष्ण की प्रसन्नता के लिए ऊं क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि परमात्मने प्रणतः क्लेश्नाशय गोविदाय नमो नमः मंत्र का जाप करें।

 

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