(रवि भोई की कलम से)
चर्चा है कि छत्तीसगढ़ के कोटे से राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पांडेय या फिर बिलासपुर के सांसद अरुण साव को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। अभी केंद्र में छत्तीसगढ़ से सरगुजा की सांसद श्रीमती रेणुका सिंह राज्य मंत्री हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार जुलाई के पहले हफ्ते में हो जाएगा। सरोज पांडेय, भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव रही हैं। संगठन से जुड़े कई लोगों को कैबिनेट में शामिल करने की बात चल रही है, इस नाते सरोज पांडेय का नाम भी नए कैबिनेट सदस्य के रूप में लिया जा रहा है।
सरोज पांडेय दुर्ग लोकसभा की सांसद रह चुकी हैं। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ से मंत्री बनने वालों में अरुण साव की भी चर्चा है। छत्तीसगढ़ में साहू वोटरों की संख्या काफी होने की वजह से अरुण साव को कैबिनेट में जगह देकर समाज को साधने की बात चल रही है। वकील से राजनीतिज्ञ बने साव को लगनशील और स्वच्छ छवि वाला माना जा रहा है। श्री साव पहली बार सांसद बने हैं। अब देखते हैं किसकी बाजी लगती है। कहा जा रहा है – दौड़ में रायपुर के सांसद सुनील सोनी भी हैं। अटल विहारी वाजपेयी की सरकार में छत्तीसगढ़ से डॉ. रमन सिंह, रमेश बैस और स्व. दिलीपसिंह जूदेव एक साथ मंत्री रहे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बैटिंग
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों आक्रामक बैटिंग करते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पिछले करीब 15 दिनों में राज्यभर में सात हजार करोड़ के काम का वर्चुअल शिलान्यास और उद्घाटन किया, तो अब अगले 15 दिन तक विकास को गति देने वाले विभागों की योजनाओं और कामों की समीक्षा करेंगे। सिंचाई, पेयजल, वृक्षारोपण, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास से लेकर कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने की रणनीति पर नजर होगी। विकास योजनाओं के जरिए राज्य की धारा बदलने की कोशिश के बीच मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के प्रभार जिले को उलट-पुलट कर बम फोड़ दिया। मुख्यमंत्री के इस कदम को लोग उनकी नई सियासत के तौर पर देख रहे हैं। विपक्ष भाजपा मुख्यमंत्री को उलझाने के लिए फ़ास्ट और गुगली गेंदबाजी कर रही है। अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए विपक्ष का सरकार पर हमला लाजमी भी है। इन सबसे छत्तीसगढ़ में राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है। कुछ लोग इसे 2023 के चुनाव की तैयारी का रिहर्सल कह रहे हैं।
लक्ष्य वाले भाजपा नेता
कहते हैं आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में छलांग लगाने वाले ओपी चौधरी और कोचिंग संचालक से राजनेता बने डीसी पटेल दोनों का लक्ष्य मुख्यमंत्री की कुर्सी है। दोनों में कई समानताएं भी हैं। दोनों एक ही जाति और वर्ग के होने के साथ नक्षत्र की तरह राजनीति में आए। दोनों ही 2018 में पहली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए। ओपी चौधरी राजनीति के साथ बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं। डीसी पटेल कोचिंग के जरिए युवाओं के बीच हैं। डीसी पटेल की पत्नी अनिता पटेल महासमुंद जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं। अब देखते हैं आने वाले समय में कौन सिकंदर बनता है ? कहा जा रहा है चौधरी और पटेल को देखकर बिलासपुर के कुछ कोचिंग संचालकों में राजनीति का शौक जाग गया है। न्यायधानी बिलासपुर को प्रतियोगी परीक्षाओं और उच्च शिक्षा के लिए कोचिंग का केंद्र माना जाने लगा है। यहाँ से राज्य के अन्य शहरों और कस्बों में कोचिंग की जड़ें फ़ैल भी रही हैं। कहा जा रहा है कि कोरोना काल को छोड़ दें तो ,छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों में कोचिंग का कारोबार खूब फला-फूला। जब धन की वर्षा होगी तो नए-नए शौक पैदा होना स्वाभाविक बात है।
बिजली बोर्ड के भाग्यशाली अफसर
छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के वितरण कंपनी के एमडी हर्ष गौतम बड़े भाग्यशाली निकले। सरकार ने रिटायरमेंट के 12 दिन पहले ही उन्हें अगले आदेश तक के लिए उसी पद पर पुनर्नियुक्ति दे दी। हर्ष गौतम 30 जून को रिटायरमेंट होने वाले हैं , लेकिन एक जुलाई से उन्हें उसी पद पर बनाए रखने के लिए 18 जून को ही सरकार ने आदेश जारी कर दिया, जिससे गौतम साहब की गति बनी रहे। आमतौर पर पुनर्नियुक्ति या संविदा नियुक्ति रिटायरमेंट के दिन ही जारी होता है। कुछ अफसर तो आदेश का इंतजार करते- करते ही रिटायर हो जाते हैं। हर्ष गौतम के छक्के की प्रशासनिक हलकों में बड़ी चर्चा है। कई लोग तो धमाकेदार शाट का राज तलाशने में लग गए हैं।
कोरोनाकाल में मालामाल अफसर
कोरोना कई लोगों को दुखों का पहाड़ दे गया, तो कई लोगों के अपने चले गए। कोरोना ने रिश्ते-नाते को छीनने के साथ आर्थिक रूप से लोगों की कमर भी तोड़ दी। ऐसे आपदा को अवसर में बदलने वाले कई चेहरे भी सामने आए। लोग निजी अस्पतालों को तो कोस रहे हैं। इंजेक्शन और जीवन रक्षक दवा सप्लाई करने वाले भी कटघरे में हैं , उससे बढ़कर, इन पर निगरानी रखने वाले ही कंबल ओढ़कर घी पीने का काम किया, सो अलग। कहते हैं राजधानी में स्वास्थ्य महकमे के एक आला अफसर ने अपनी जेब खूब भरी। इसके लिए उसने नैतिकता और जिम्मेदारी दोनों को खूंटी पर टांग दिया था। ऊँची कुर्सी वालों के संरक्षण के चलते कोई उनका बाल बांका भी नहीं कर पा रहा है।
मेयर से दुखी विधायक
एक मेयर से उस शहर से ताल्लुक रखने वाले विधायक बड़े दुखी बताए जाते हैं। कहते हैं पिछले दिनों एक सीनियर विधायक के नेतृत्व में कुछ विधायक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से मेयर की शिकायत करने पहुँच गए। शहर के विकास में मेयर का बड़ा रोल होता है , ऐसे में मेयर के हाथ रोकने से विधायकों को भी दो-चार होना पड़ता है। वक्त-वक्त की बात है, कहते हैं चुनाव के वक्त मेयर को विधायकों का बेमन साथ मिला था। अब वे भी पावर दिखा रहे हैं। चर्चा है कि फंड आबंटन को लेकर मेयर और पार्षदों में खींचतान को नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया के फार्मूले से सुलझाया गया।
2003 बैच के आईपीएस आईजी बनेंगे
चर्चा है की 2003 बैच के आईपीएस अगले महीने तक आईजी प्रमोट हो जाएंगे। इस बैच में सुंदरराज पी. , ओपी पाल , रतनलाल डांगी , एससी द्विवेदी , और आरपी साय हैं। इनमें सुंदरराज पी. बस्तर, रतनलाल डांगी बिलासपुर और आरपी साय सरगुजा के प्रभारी आईजी हैं। 2003 बैच को जनवरी में ही प्रमोशन मिल जाना चाहिए था। आईपीएस अफसर 18 साल की सेवा के बाद आईजी के लिए पात्र हो जाते हैं।
खेतान और मुदित अगले महीने रिटायर होंगे
छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल के अध्यक्ष चितरंजन खेतान और छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक मुदितकुमार सिंह जुलाई में रिटायर होंगे। 1987 बैच के आईएएस श्री खेतान अभी राज्य के सबसे सीनियर व्यूरोक्रेट और आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। सरकार श्री खेतान के अनुभव का लाभ लेती है या नहीं, इसको लेकर लोगों में जिज्ञासा है। भूपेश सरकार ने 1984 बैच के आईएफएस मुदितकुमार सिंह को प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से हटाकर सीजीकास्ट में भेजा था। सरकार चाहे तो उन्हें संविदा पर नियुक्ति देते हुए सीजीकास्ट के महानिदेशक पद पर बनाए रख सकती है।
(लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )