देश में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) शायद निवेश का सबसे लोकप्रिय विकल्प है. हालांकि पिछले कुछ सालों में बैंक एफडी की ब्याज दरों की काफी कमी आई है. ऐसे में एफडी के अलावा भी कुछ विकल्प हैं जो उससे कहीं ज्यादा रिटर्न आपको दे सकते हैं. इन्हीं में एक है कॉरपोरेट या कंपनी एफडी में निवेश. जानते हैं इसके बारे में.
कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए पूंजी जुटाने का काम करती हैं. एक निश्चित अवधि के लिए निवेशक से कंपनियां पूंजी लेती हैं जिसे कॉरपोरेट एफडी कहा जाता है. कंपनियां निवेशक से विज्ञापन के जरिए निवेश करने के लिए कहती हैं. निवेशक को आकर्षित करने के लिए इस एफडी पर कंपनियां बैंक और अन्य फाइनेंस कंपनियों से ज्यादा ब्याज देती हैं. क्योंकि, इन कंपनियों के पास कंपनी कानून तहत के डिपॉजिट लेने का अधिकार होता है. कंपनियों के कॉरपोरेट FD पर ब्याज दर अधिक होता है इसलिए इसमें निवेश करना बेहतर होता है.
कॉर्पोरेट एफडी, बैंक एफडी से क्यों है अलग
- कॉरपोरेट एफडी ऊंची ब्याज दर की पेशकश की जाती है, जबकि बैंक एफडी अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर देते हैं.
- बैंक एफडी की तुलना में आप कॉर्पोरेट एफडी में से कम समय में पैसा निकाल सकते हैं. हालांकि आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार तीन महीनों की अवधि के भीतर पैसा निकालने पर जुर्माना देना होगा.
जोखिम
- कॉर्पोरेट्स एफडी पर में जोखिम अधिक है. इसमें कोई भी वैधानिक गारंटी नहीं होती.
- अगर कंपनी कमजोर हालत में हुई तो आपको पैसा वापस पाने में दिक्कत होगी.
- बैंकों एफडी में आपका 5 लाख रु तक का पैसा सेफ है. क्योंकि कम से कम इतनी रकम का बीमा हुआ होता है.
- कम जोखिम क्षमता वाले निवेशकों को कॉरपोरेट एफडी में पैसा लगाने से बचना चाहिए.
टैक्स
- यह ध्यान रखें कि बैंक और कंपनी डिपॉजिट पर निवेशक आयकर की जिस स्लैब में आता है उसके मुताबिक टैक्स लगता है.
- आयकर कानून 1961 के तहत यदि बैंक एफडी पर एक साल में ब्याज 10,000 रुपए से अधिक बनता है तो स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) की जाती है. कंपनी एफडी में इसकी सीमा 5,000 रुपए है.
कॉर्पोरेट एफडी लेते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
- अगर आप जोखिम लेना चाहते हैं तो कॉरपोरेट एफडी का विकल्प चुनें
- ज्यादा क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनी में ही निवेश करना करें
- अगर AAA या AA रेटिंग वाली कंपनियां FD ऑफर कर रही हैं तो उनमें निवेश किया जा सकता है.
- कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले उस कंपनी का 10-20 साल का रिकॉर्ड देख लें.
- उन्हीं कंपनियों के डिपॉजिट में निवेश करें जो मुनाफा कमा रही हैं.
- ऊंची ब्याज दर के साथ क्या जोखिम जुड़े हैं उस पर भी गौर कर लेना चाहिए.
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