उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की 125 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में 50 महिलाएं हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिस्ट में उन महिलाओं और पुरुषों को तरजीह दी है, जिन्होंने अपमान और प्रतड़ना के खिलाफ आवाज उठाई। प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक का असल मकसद सेवा है और हम वही कर रहे हैं।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जो स्ट्रैटजी तैयार की है, उसमें इन ‘शीरोज’ और ‘हीरोज’ का रोल अहम है। अब कांग्रेस इनके संघर्ष की कहानियां UP की जनता को सुनाएगी ताकि वोट शेयर को बढ़ाया जा सके। अब देखना यह है कि नतीजों पर इसका असर कितना पड़ता है। जानिए कांग्रेस की लिस्ट में शामिल चर्चित नायक और नायिकाओं को…
1. आशा सिंह
उन्नाव में अपनी बेटी के बलात्कार के बाद सत्ताधारी भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ आशा सिंह ने लड़ाई लड़ी। उनके पति की हत्या तक कर दी गई। बावजूद इसके वे लड़ती रहीं। अंत में जब बेटी की मौत हो गई तो भी लड़ाई जारी रखी। आज पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जेल में है। कांग्रेस ने आशा सिंह को भी टिकट दिया है।
2. ऋतु सिंह
ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भाजपा की हिंसा की शिकार का प्रतीक बनी ऋतु सिंह को चुनाव लड़ने से रोका गया, उनके कपड़े फाड़े गए। लखीमपुर खीरी के पसगवां ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख पद के नामांकन के दौरान प्रत्याशी ऋतु सिंह की साड़ी खींची गई थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस मामले में जिस आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसके भाजपा के साथ कनेक्शन की बात सामने आते ही हंगामा खड़ा हो गया था। युवक भाजपा की सांसद रेखा वर्मा का रिश्तेदार है। रेखा वर्मा यूपी की धौरहरा सीट से भाजपा सांसद हैं।
3. पूनम पांडेय
आशा कार्यकर्ता कोरोना के समय उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की जान थीं। उन्होंने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना लगकर अपनी ड्यूटी दी। आशा कार्यकर्ताओं ने शाहजहांपुर में आयोजित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा में पहुंची तो उन्हें योगी से मुलाकात करने से रोका गया। जब आशाओं ने जिद की तो उनमें से इनकी अगुआई कर रही पूनम पांडे को पुलिस ने जमकर पीटा। उनका यह वीडियो वायरल हो गया। फिर क्या था, कांग्रेस महासचिव उनसे मिलने पहुंचीं। पूनम पांडेय को कांग्रेस ने न्याय की आवाज करार दिया। अब उन्हें टिकट दिया गया है।
4. सदफ जफर
नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ पर झूठे मुकदमे लगाए गए। प्रदर्शन के दौरान महिला पुलिस ने नहीं, बल्कि पुरुष पुलिस ने उन्हें पीटा। उनके बच्चों से अलग करके उनको जेल में डाला गया। सदफ सच्चाई के साथ डटी रहीं। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंसा फैलाई। उनके पास पांच ईंट थीं। वे पत्थरबाजी को उकसा रही थीं। उन्हें 19 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। उनका आरोप है कि पुलिस वालों ने उन्हें रातभर पीटा और उन्हें पाकिस्तानी कहा गया।
5. अल्पना निषाद
बसवार, प्रयागराज में बड़े खनन माफियाओं के खिलाफ अल्पना ने मोर्चा खोल दिया। दरअसल माफिया निषादों के संसाधन, यानी नदियों पर अपना हक जमा रहे थे। नदियां निषादों की जीवनरेखा हैं। नदियों और उनके संसाधन पर निषादों का हक होता है। अल्पना माफिया को नदियों से बालू निकालने से रोक रही थीं। भाजपा सरकार की पुलिस ने निषादों को जमकर पीटा। निषादों की नावें जला दी गईं। निषादों की संघर्ष की इस कहानी का चेहरा बनीं अल्पना निषाद। अब उन्हें भी कांग्रेस ने टिकट दिया।
6. रामराज गोंड
सोनभद्र के उम्भा गांव में 7 जुलाई 2019 को 112 बीघे जमीन के लिए दबंगों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 11 आदिवासियों की जान ले ली थी। इस घटना में 25 अन्य घायल हुए थे। इसके बाद कांग्रेस की UP प्रभारी प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंची थीं। दबंगों द्वारा आदिवासियों का नरसंहार पूरे देश ने देखा। योगी सरकार ने न्याय देने के लिए कुछ नहीं किया आदिवासियों के संघर्ष की मजबूत आवाज बनकर उभरे रामराज गोंड। प्रियंका जब उम्भा गांव पहुंची तो उनकी मुलाकात 34 वर्षीय रामराज गोंड से हुई। रामराज ने ही प्रियंका की पीड़ित परिवारों से मुलाकात कराई। कांग्रेस ने पहले उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया और अब विधायकी का टिकट दिया।
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