वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग के लिए किया जा सकता है, जो सभी देशों के लिए क्रिप्टो से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम है. वित्त मंत्री ने ये बातें अमेरिका दौरे के दौरान वाशिंगटन डीसी में इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा है. वित्त मंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ही क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट किया जा सकता है. और कोई देश अगर सोचता है कि अकेले इसे संभाल सकता है तो वो संभव नहीं है. इसे सभी देशों को मिलकर रेग्युलेट करना होगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया जिससे इसका ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों पर नजर रखी जा सके. इससे ये पता लगाया जा सकेगा कौन लोग इसके ट्रांजैक्शन में शामिल हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि “हम इन लेन-देन को कैसे ट्रैक कर सकते हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक कोड में किया जा रहा था. इसलिए हम सुनिश्चित होना चाहते थे. यही वजह है कि हमने 30 फीसदी क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने का फैसला किया जिससे ये हम जान पाएंगे कि कौन खरीद रहा है और कौन इसे बेच रहा है.
सीतारमण ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत के डिजिटाईजेशन और डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण में केंद्र सरकार के प्रयासों को बताया और ये भी रेखांकित किया कि कैसे कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल अपनाने की दर में देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
वित्त मंत्री अमेरिका दौरे पर हैं जहां वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्प्रिंग बैठकों में भाग लेंगी. निर्मला सीतारमण जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में भी भाग लेंगी और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास से मुलाकात करेंगी. सीतारमण का सैन फ्रांसिस्को में बिजनेस लीडर्स से भी मिलने का कार्यक्रम है और वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के फैकल्टी और छात्रों के साथ भी बातचीत करेंगी.
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