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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए ननिहाल से जाएगी 100 टन सब्जियां, सीएम ने दिवाली बनाने का आग्रह

रायपुर। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर के साथ की जा रही हैं। श्री राम के ननिहाल कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में भी लोगों में उत्साह नजर आ रहा है। भाजपा सरकार 22 जनवरी के दिन राज्य में ड्राई-डे की घोषणा कर दी है। वहीं, राज्यवासियों से शाम को दीपावली मनाने का आग्रह किया है।

22 जनवरी के महोत्सव में बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद, संघ-भाजपा समेत कई संगठन यहां श्रद्धालुओं की मदद और उनकी व्यवस्था में जुटे हुए हैं। कई संगठन और राज्य अनाज, घी, चीनी तो कोई सब्जी अपने आराध्य को अर्पण कर रहे हैं, मगर सबसे खास सौगात रामलला की ननिहाल से आ रही है। भगवान की ननिहाल से 3000 टन सुगंधित चावल भेजा गया है, जिससे प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला को भोग लगाया जाएगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पूजा अर्चना के बाद चावलों को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को भेज दिया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद इन्हीं चावलों से भोग लगाया जाएगा। इसके अलावा भगवान राम की ससुराल जनकपुर से भी कई सामग्रियां राम मंदिर को भेजी गई हैं और अन्य सामग्रियों के लेकर एक दल भी 5 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगा।

किसान भेजेंगे 100 टन सब्जियां

हाल ही में राज्य का प्रगतिशील किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री साय से मुलाकात करने पहुंचा था। उन्होंने किसानों के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को आने का न्योता दिया, साथ ही इस दौरान किसानों ने 100 टन सब्जियों को अयोध्या भेजने का प्रस्ताव भी रखा। इस प्रस्ताव का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भगवा ध्वज दिखाकर 11 ट्रकों को रवाना किया था। जिससे रामलला के मंदिर में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के चावल से भगवान राम को भोग लगेगा। इसके साथ ही देश भर से आने वाले राम भक्तों को प्रसाद का भी वितरण किया जाएगा। 300 टन चावल का इंतजाम छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन की ओर से किया गया था। छत्तीसगढ़ में मिलने वाले सबसे अच्छे किस्म के चावल को भगवान राम के लिए भेजा गया है।

छत्तीसगढ़ और भगवान राम का नाता

अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 साल की यात्रा में लगभग 248 ऐसे प्रमुख स्थल हैं, जहां भगवान श्रीराम ने या तो विश्राम किया या फिर उनसे उनका कोई रिश्ता जुड़ा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव छत्तीसगढ़ का रहा है। 14 साल के वनवास के 10 साल भगवान श्रीराम ने यहां गुजारे हैं। भगवान राम की मां कौशल्या को भी छत्तीसगढ़ का ही बताया जाता है। छत्तीसगढ़ को प्राचीन काल में कोसल प्रदेश कहा जाता था, यहां की होने की वजह से उनका नाम कौशल्या पड़ा। रायपुर के चंदखुरी में राम भगवान को गोद में लिए कौशल्या माता की प्रतिमा मंदिर में स्थापित है। देश में माता कौशल्या का इकलौता मंदिर भी यहीं है।

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