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गरियाबंद जिला हुआ 11 साल का ,11 वें कलेक्टर का आगमन होगा, लेकिन गरियाबंद जिला चलना तो क्या रेंगना भी नहीं सीखा : मुरलीधर सिन्हा

गरियाबंद। मिलेनियम वर्ष 2000 नवम्बर में छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ और सत्ता का विकेन्द्रीकरण इसलिये हुआ कि छोटा राज्य बनने से जनता की तकलीफ दूर होगी । राजधानी और न्यायधानी की पहुँच आम जनता के निकट हुई, समय बीता छत्तीसगढ़ियों में खुशहाली दिखने लगी और सत्ता के नुमाइंदों ने विकास अनेक सौगात दिए जिसमें से नवम्बर 2012 गरियाबंद राजस्व जिला मिला गरियाबंद जिलावासियों की खुशी देखते बनता था कि अब रायपुर से जिला की दूरी 90 किलोमीटर कम हो गई तो विकास के नये पायदान गढ़े जायेंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ ।

भाजपा नेता मुरलीधर सिन्हा बताया कि नया राजस्व जिला गरियाबंद नवम्बर 2012 में बनते ही भाजपा संगठन ने भी मुझे जिला का प्रथम जिला महामन्त्री का पद मिल गया यह बदलाव का सुखद परिणाम रहा है हालाँकि उन्होंने बताया कि अविभाजित मध्यप्रदेश से ही जिला पुनर्गठन आयोग 1998 से गरियाबंद को जिले की माँग करने वालों में अग्रणी रहें है । श्री सिन्हा ने बताया कि गरियाबन्द जिला बने 11 वर्ष बीत गये लेकिन जैसे विकास होना चाहिये और जनता को अपनी मूलभूत सुविधाओं एवं आवश्यकताओं को मिलनी चाहिए या समाधान होनी चाहिए जो ऐसा नहीं हो पाया ऐसा लगता है कि दौड़ना चाहिए था लेकिन अब तक रेंगना नहीं सीखा है इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है । सरकार ने गरियाबंद नवीन जिला बना है करके अरबों-खरबों के विकास और निर्माण के लिए धनराशि मिली किन्तु भ्रष्टाचार ने अपना पाँव पसार लिया ।

जिले का सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर को जाना जाता है जिले के पूरे विभाग कमान उनके हाथों में होता और जिसे विद्वता और तत्परता के लिये मशहूर माना जाता किन्तु गरियाबंद जिला में अब तक 10 कलेक्टर बदले किन्तु जिले की तकदीर व तस्वीर नहीं बदली । भाजपा नेता मुरलीधर सिन्हा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि जब वे विद्यार्थी थे तब रायपुर जिला के कलेक्टर हुआ करते थे उस समय नजीब जंग नाम कलेक्टर (आईएएस) गरियाबंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक साधारण किसान बनकर छापा मारे थे तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया था और प्रशासन में चुस्ती दिखता था लेकिन अब ऐसा गरियाबंद जिला में कुछ नहीं दिखता है अब कलेक्टर समय सीमा, जन चौपाल और बैठक से फुर्सत नहीं है, सारे मैदानी अधिकारियों का समय कलेक्ट्रेट में गुजर जाता है ।

आज जिले में सिंचाई, लोक निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, वन, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल ऐसे अनेक विभागों में विकास दिखता नहीं है, कहीं गुणवत्ता ठीक नहीं तो कहीं लक्ष्य से कम कार्य हो रहे हैं, एक उदाहरण राजिम क्षेत्र पीडब्ल्यूडी विभाग का निर्माण कार्य है राजिम, रावण हथखोज मार्ग में करोड़ों रुपये का सड़क निर्माण कार्य 4 साल बन रहा है किन्तु अधिकारी व ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं किया गया ।

आज भी क्षेत्रवासियों को दुख सड़क नहीं बनने का मलाल है । वैसे बिन्द्रानवागढ़ क्षेत्र का उड़ीसा तट पर बसे विश्व कीमती पत्थर अलेक्जेंडर ग्राम सेन्दमुड़ा है जिसके सुगम आवागमन हेतु तेलनदी पर बड़े पुल की स्वीकृति वर्ष 14-15 में हुई थी निर्माण कार्य एजेंसी प्रधानमंत्री सड़क योजना है के ठेकेदार व अधिकारियों के लापरवाही से आज तक पुल अपूर्ण है, ऐसे अनेक विकास व निर्माण कार्य अपूर्ण की फाइल खंगाले तो पहाड़ बन जायेगा ? वैसे अनेक विभाग में मन्त्रालय में बजट मिल जाने का बाद भी अधिकारी प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेंट चढ़ाने का बाट जोह रहा है विदित हो कि लोकनिर्माण विभाग का सेतु निगम को गरियाबंद जिले के पहुंचविहीन क्षेत्रों के लिए बारहमासी आवागमन हेतु सात- आठ पुलों का वित्तीय वर्ष 2022-23 में बजट का प्रावधान किया था और योजना का तकनीकी स्वीकृति विभाग ने तैयार करके प्रशासकीय स्वीकृति के लिए मन्त्रालय भेजा गया था किन्तु उन तक भेंट पूजा नहीं होने से फाइल धूल चांट रहा है अब यूँ कहे कि गरियाबंद जिला बने 12 वाँ साल को पहुँच गये परन्तु अभी चलने को तो दूर अभी रेंगना नहीं सीखा ।

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