Close

साल का पहला प्रदोष व्रत 9 को, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी को रखा जाएगा. यह दिन भगवान शिव जी को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है. यह दिन शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दौरान, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं. हालांकि, इस त्योहार को देश के दक्षिणी भागों में प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में जो साधक इस दिन माता पार्वती और शिव जी की विशेष आराधना करते हैं उनके ऊपर भगवान की सदैव कृपा बनी रहती है. जानें भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और नियम के बारे में-

प्रदोष व्रत 2024 का महत्व

इस साल का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार को है, जिसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. इस शुभ दिन पर समर्पण और भक्ति के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से भक्तों को उनकी इच्छाओं के करीब ले जाया जा सकता है. भौम प्रदोष व्रत पर देवताओं की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली आती है. कुछ भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा भगवान नटराज के रूप में भी करते हैं. मान्यता है कि, इस व्रत को करने के बाद माता पार्वती ने भगवान भूत भावन यानी भगवान शंकर को पाया था. इस व्रत को रखने से घर में समस्त तरह के सुख सुविधाएं मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और इस व्रत के लिए शाम के समय भगवान शिव का विशेष पूजा अर्चना किया जाता है.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जनवरी रात 11 बजकर 26 मिनट से हो रही है. वहीं, समाप्ति अगले दिन 9 जनवरी दिन मंगलवार रात 10 बजकर 18 मिनट पर होगी. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष समय में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है, इसलिए 9 जनवरी को प्रदोष का व्रत रखा जाएगा. वहीं, भगवान शिव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 13 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक है.

प्रदोष व्रत के पूजा नियम
० प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इसलिए शिव भक्तों को भौम प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए.
० इसके बाद मंदिर को साफ करें. फिर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष दीया जलाएं.
० इसके बाद भगवान को फूल, मिठाइयां और फल अर्पित कर शिव के मंत्रों का जाप करें.
० वहीं, आरती के साथ पूजा का समापन और अंत में शंखनाद करें. इसके बाद भक्त सात्विक भोजन से अपना व्रत खोल सकते हैं.

 

scroll to top