भारतीय बैंकों का डूबा हुआ कर्ज बढ़ कर उनके बैलेंसशीट के 13 फीसदी तक पहुंच सकता है. आरबीआई ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के नए संस्करण में कहा है कि 30 सितंबर, 2020 तक बैड लोन बढ़ कर बैंकों की बैंलेसशीट के 13.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा.सितंबर 2019 में यह 7.5 फीसदी था. बेहद खराब हालात में यह 14.8 फीसदी तक भी पहुंच सकता है. हालात खराब रहे तो यह स्थिति वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में ही आ सकती है. अगर ऐसा हुआ तो बैड लोन दो दशक की सबसे खराब स्थिति में पहुंच जाएगा.
हालांकि आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एनपीए की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है. पिछले दो साल से इसमें लगातार कमी आ रहा है. जुलाई-सितंबर 2020 में यह 7.5 फीसदी था. यहां तक कि स्लीपेज रेश्यो यानी फ्रेश बैड लोन की बढ़ोतरी की रफ्तार घटी है. सितंबर में यह घट कर 0.15 फीसदी पर पहुंच गई.
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक सेक्टर बैंक के ग्रॉस एनपीए में 650 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हो सकती है. जुलाई-सितंबर में पब्लिक सेक्टर बैंकों का ग्रॉस एनपीए म बढ़ कर 9.7 फीसदी तक पहुंच सकता है वहीं जुलाई-सितंबर ( 2021-22) में यह 16.2 फीसदी पर पहुंच सकता है. प्राइवेट बैंकों का एनपीए इस दौरान 4.6 फीसदी से बढ़ कर 7.9 फीसदी पर पहुंच सकता है.