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पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का 75 की उम्र में निधन

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और शरद यादव का 75 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने गुरुवार को ट्विटर पर इस खबर की पुष्टि की. उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है. पूर्व जद (यू) प्रमुख महीनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक बयान में कहा गया है कि शरद यादव को अचेत और अनुत्तरदायी अवस्था में आपातकालीन वार्ड में लाया गया था. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अस्पताल के बयान के हवाले से कहा, ‘जांच करने पर, उनकी नाड़ी नहीं चल रही थी या रिकॉर्ड करने योग्य रक्तचाप नहीं था. एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया. सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, उन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सका और 12 जनवरी की रात 10:19 बजे मृत घोषित कर दिया गया.’

सूत्रों के मुताबिक, वह दोपहर तक ठीक थे, लेकिन बाद में उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कुछ दिक्कतें हुईं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का अंतिम संस्कार 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद स्थित उनके पैतृक गांव बबाई में होगा. आज उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली स्थित उनके आवास 5 A वेस्टेंड, छतरपुर फार्म, नई दिल्ली में रखा जाएगा. शरद यादव की बेटी और उनके दामाद ने इस संबंध में जानकारी दी. 1 जुलाई, 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में जन्मे, शरद यादव पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक उपचुनाव में लोकसभा के लिए चुने गए थे. 1977 में, वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए. 1979 में जब जनता पार्टी का विभाजन हुआ, तो उन्होंने चरण सिंह गुट का साथ दिया. जब राजीव गांधी ने 1981 में अमेठी से उपचुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया, तो शरद यादव लोकदल के टिकट पर हारने वाले उम्मीदवार थे. वह 1984 में चरण सिंह के नेतृत्व में लोकदल के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बदायूं से हार गए. उन्हें वर्ष 1989 में जनता दल के सदस्य के रूप में बदायूं (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से जीत मिली.

बाद में, उन्होंने लालू प्रसाद यादव के 2004 में अपनी सीट से इस्तीफा देने के कारण हुए उपचुनाव में बिहार के मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. उन्होंने 1991, 1996, 1999 और 2009 में चार बार मधेपुरा सीट जीती. उन्हें मधेपुरा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार- 1998 और 2004 में दो बार लालू, 2014 में राजद के पप्पू यादव और 2019 में जद (यू) के दिनेश से हार का सामना करना पड़ा. शरद यादव यादव ने 2019 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था. मई 2018 में, उन्होंने बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन के कारण जेडी (यू) से अलग होने के बाद लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) लॉन्च किया. पिछले साल मार्च में, उन्होंने अपनी पार्टी LJD का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया. इस राजनीति घटनाक्रम को शरद यादव और जेपी आंदोलन के जवाने के उनके सहयोगियों के बीच पुनर्वास के प्रयास के रूप में देखा गया, क्योंकि उनकी पार्टी LJD का कोई जनाधार नहीं था.

 

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