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मस्तक पर बना त्रिपुंड लोगों में बना आकर्षण का केन्द्र

राजिम। माघी पुन्नी मेला के प्रथम दिन महानदी के तट पर स्थित श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में सभी मेलार्थी बहुत ही उत्साहित दिखाई दिये। भगवान श्री कुलेश्वरनाथ के दर्शन के बाद अपने ललाट पर त्रिपुंड लगाने के लिए लम्बी कतार में बच्चे, बुजूर्ग और सबसे ज्यादा युवक नज़र आये, जो सबसे अधिक आकर्षण का केन्द्र रहा। शिवरीनारायण से आये सुरेन्द्रनाथ योगी ने बताया कि 3 लाईन में 27 देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इसे त्रिपुंड कहा जाता है।
यह शिवजी को बहुत प्रिय है। शिव गोरख के वंशज है इसलिए त्रिपुंड शैव संप्रदाय है। शिव भक्त सन्यासी मस्तक पर चंदन से बना यह त्रिपुंड लगाकर शिव भक्ती में लीन होते है जिससे उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होता है। त्रिपुंड लगाने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। चंदन या भस्म के द्वारा तीन उंगलियों के मदद से त्रिपुंड बनाया जाता है। त्रिपुंड धारण करने वाले भक्तों पर शिवजी की बहुत ही कृपा होती है।
इससे शरीर को शीतलता मिलती है साथ ही आध्यात्मिक, सात्विक भाव का मन में संचार होता है। राजिम माघी पुन्नी मेला में आए मेलार्थी अधिक संख्या में मस्तक पर त्रिपुंड बनाकर बहुत ही खुश नजर आ रहे है साथ ही सेल्फी पाईंट का बहुत अच्छा माध्यम बना हुआ है। कचना धुरवा से आए मेलार्थी ने बताया कि हम लोग प्रतिवर्ष मेला घुमने आते है लेकिन इस वर्ष परिवार के सभी सदस्य के मस्तक पर त्रिपुंड बनाकर अपने आप को धन्य मान रहे है। ऐसे लग रहा है जैसे शिवजी की असीम कृपा हम पर हो गई है।
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