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आज से होलाष्टक शुरू, नहीं किए जाते कोई शुभ कार्य

इस बार 7 मार्च को होलिका दहन होगी और इसके 8 दिन पहले यानी आज से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 8 दिनों तक किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे विवाह , गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन और नई गाड़ी की खरीदारी करना जैसे शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं.

इस साल होलिका दहन 7 मार्च को होगी फिर अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी. होली के 8 दिनों पहले तक होलाष्टक शुरू हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 8 दिनों तक किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे विवाह , गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन और नई गाड़ी की खरीदारी करना जैसे शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. यहां तक की जमीन या मकान से जुड़ा हुआ सौदा भी करना शुभ नहीं माना जाता है. इस बार 7 मार्च को होलिका दहन होगी और इसके 8 दिन पहले यानी 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे. आइए जानते हैं आखिरकार होली के 8 दिन पहले के समय को किसी शुभ कार्य करने के लिए वर्जित माना जाता है.

क्या होता है होलाष्टक
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक दोष रहता है. इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है. वैदिक मुहूर्त शास्त्र के अनुसार जब समय दोष से युक्त होता है तो उस दौरान किसी भी तरह का कार्य करने से उसके सफल होने की संभावना नहीं होती है. होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसका मतलब होता है होता कि होली के 8 दिन. यह 8 दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक रहता है.

होलाष्टक अशुभ क्यों ?
होली के 8 दिनों पहले के समय को होलाष्टक कहते हैं. दरअसल होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह बहुत ही उग्र स्वभाव में रहते हैं जिस कारण से किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करने पर उसका शुभ फल अच्छे प्राप्त नहीं होता है. होलाष्टक के दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहू उग्र स्वभाव में रहते हैं. ग्रह के स्वभाव में उग्रता आने पर जब व्यक्ति किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य करता है या फिर कोई फैसला लेता है वह शांत मन से नहीं लेता है जिसके कारण उसके द्वारा लिए गए निर्णय गलत साबित हो सकते हैं. वहीं ज्योतिष में बताया गया है जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच के हो या वृश्चिक राशि वाले जातक, या चंद्रमा 6ठें या 8वें भाव में हो उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

 

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