मुश्किल की घड़ी हो या फिर खुशी का पल, सिर्फ कैफीन आपका सबसे अच्छा दोस्त होता है! चाहे चाय की शक्ल में हो या फिर कॉफी के रूप में हो. ये प्राकृतिक उत्तेजक का काम करता है और ज्यादातर व्यस्कों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है. हालांकि, कैफीन ज्यादातर सुरक्षित है, लेकिन ज्यादा इस्तेमाल समस्या बन जाता है. कैफीन के हद से ज्यादा सेवन का नतीजा बेचैनी, चिंता और सिर दर्द हो सकता है. लेकिन क्या आप चाय या कॉफी में पाई जानेवाल कैफीन की मात्रा से वाकिफ हैं? दोनों ड्रिंक्स के बीच तुलना कर आप खुद समझ सकते हैं दोनों में मौजूद कैफीन की मात्रा के लिहाज से आपके लिए कौन बेहतर है.
चाय
चाय बनाने की प्रक्रिया उसमें मौजूद कैफीन की मात्रा को प्रभावित करती है. चाय की पत्तियों में 3.5 फीसद कैफीन मौजूद होता है. जब आप चाय को गर्म पानी में देर तक डुबोते हैं, तो इसका नतीजा चाय की पत्तियों से ज्यादा कैफीन को खींच लेना होता है. माचा ग्रीन टी में कैफीन की बड़ी मात्रा पाई जाती है और आम तौर से पाउडर की शक्ल में आती है. उसके आधे चम्मच में 35 मिलीग्राम कैफीन की मात्रा होती है. ब्लैक टी के एक कप में 47 मिलीग्राम कैफीन मिल जाती है, जबकि एक कप ग्रीन टी में कैफीन 25-45 मिलीग्राम पाया जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लैक टी की पत्तियों को ऑक्सीकृत किया जाता है, हालांकि, ग्रीन टी की पत्तियों ऑक्सीकृत नहीं होती.
कॉफी
कॉफी बीन्स में कैफीन की मात्रा 1.1-2.2 फीसद होती है. लेकिन जैसा की चाय की पत्तियों के मामले में होता है, गर्म पानी में कॉफी बीन्स को बनाने की प्रक्रिया का नतीजा उससे कैफीन की ज्यादा मात्रा निकालना होता है. बात जब गहरा भूना हुआ कॉफी बीज और हल्का भूना हुआ कॉफी बीज की हो, तो आम राय के विपरीत गहरा भूना हुआ कॉफी बीज भुननेवाली मशीन पर ज्यादा देर और ज्यादा तापमान पर हल्के भुने हुए बीज के मुकाबला ठहरता है, इसलिए ये कम घना और कैफीन युक्त हो जाता है.