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पेट्रोल-डीजल के बढ़ रहे दाम, भारत ने ओपेक समेत अन्य देशों को तेल के दाम स्थिर रखने के वादे की दिलाई याद

नई दिल्ली: पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतें आसमान छूने के साथ ही भारत ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य देशों से एक बार फिर कच्चे तेल के उत्पादन पर लागू प्रतिबंधों को उठाने और दाम स्थिर रखने के वादे को पूरा करने का आग्रह किया.

भारत जिस हिसाब से कच्चे तेल का आयात करता है, उसके तहत अप्रैल से दिसंबर 2020 की अवधि में उसके लिए औसत दाम 50 डॉलर से कम बना हुआ था. जबकि 2019-20 में इसका औसत दाम 60.47 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहा लेकिन इसके बाद पेट्रोल, डीजल के दाम एतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गए. इस दौरान सरकार ने एक साल पहले जब दाम ऐतिहासिक निम्नस्तर पर पहुंचे थे, उस समय जो कर लगाए गए थे उन्हें वापस नहीं लिया है.

ईंधन पर लागू रिकार्ड कर दरों के साथ ही कच्चे तेल के दाम वापस कोविड के पहले के उच्चस्तर पर लौट रहे हैं. इसके कारण देश में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में कुछ स्थानों पर पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गए हैं.

आईएचएस मार्केट के जरिए आयोजित सेरावीक सम्मेलन में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि देश में ईंधन की मांग तेजी से कोविड के पहले के स्तर पर लौट रही है. ऐसे में भारत तेल के दाम को जिम्मेदारी और तार्किक स्तर पर चाहता है. प्रधान ने कहा, ‘आप अगर आपूर्ति उचित स्तर पर नहीं रखेंगे, मांग और आपूर्ति में अगर कृत्रिम अंतर बना रहेगा तो दाम बढ़ेगे.’

इससे पहले पिछले साल जब दुनिया में कोरोना वायरस के चलते पेट्रोल, डीजल की मांग काफी कम हो गई थी तो भारत ने ओपेक देशों के उत्पादन कम करने के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि उस समय उत्पादक देशों के खासतौर से ओपेक देशों ने वैश्विक बाजार को आश्वसत किया था कि 2021 की शुरुआत में मांग बढ़ने के साथ उत्पादन को भी उसी के अनुरूप कर दिया जाएगा. लेकिन खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि उत्पादन अभी तक सामान्य नहीं हो पाया है.

बता दें कि इस साल कच्चे तेल के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 62 डॉलर से ऊपर पहुंच गए हैं. बहरहाल, ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देश उत्पादन को लेकर नीति पर फैसला करने के लिए इस हफ्ते बैठक करने वाले हैं.

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