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17 मार्च तक तय होगा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होगा या नहीं

भोपाल। कांग्रेस द्वारा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध दिया गया अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होगा या नहीं, यह 17 मार्च तक तय होगा। दरअसल, नियमानुसार प्रस्ताव प्राप्त होने के 14 दिन के भीतर यह निर्णय करना होता है कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं है। इस पर चर्चा सदन में होती है और फिर निर्णय लिया जाता है। यदि प्रस्ताव स्वीकार होता है तो फिर दस दिन में चर्चा के लिए तिथि निर्धारित करनी होती है।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि नियम यह है कि प्रस्ताव प्रस्तुत होने से 14 दिन में उसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए सदन में प्रस्तुत किया जाता है। यदि यह स्वीकार हो जाता है तो फिर चर्चा के लिए दस दिन के भीतर तिथि निर्धारित करनी होती है।

जब अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के लिए आता है तो अध्यक्ष के स्थान पर किसी सदस्य को पीठासीन अधिकारी बनाया जाता है। उस समय वे सदन में उपस्थित रह सकते हैं और उन्हें मत देने का भी अधिकार रहता है। सामान्यत: प्रस्ताव वापस ले लिए जाते हैं।

इसके पहले 15 सितंबर 1964 को उपाध्यक्ष नरबदा प्रसाद श्रीवास्तव को हटानेे के लिए अविश्वास का संकल्प प्रस्तुत किया था, जो विचार उपरांत अस्वीकार हो गया था। तीन सितंबर 1965 और एक अप्रैल 1966 कोे अध्यक्ष पद से पंडित कुंजीलाल दुबे , 19 मार्च 1970 और पांच अप्रैल 1971 को काशी प्रसाद पांडे, 18 सितंबर 1980 को उपाध्यक्ष रामकिशोर शुक्ल को पद से हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी और ये सभी अस्वीकार हो गए थे।

20 जून 1986 को तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को हटाने के लिए सूचना दी गई और फिर उसे वापस ले लिया था। इसके अलावा भी कुछ अन्य अध्यक्षों को पद से हटाने के लिए अविश्वास संकल्प की सूचना दी गई पर उन्हें वापस ले लिया गया था।

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