तेल खरीद को लेकर सऊदी अरब से विवाद के बीच भारत सरकार ने पीएसयू तेल कंपनियों से कच्चे तेल के आयात अनुबंधों की समीक्षा करने को कहा है. सरकार ने इन कंपनियों से कहा है कि वे सऊदी की तेल कंपनियों से इस तरह का कॉन्ट्रैक्ट करें, जिससे भारतीय कंपनियों को फायदा हो. सरकार तेल कीमतों पर पर खाड़ी देशों के कार्टेल के असर को कम करना चाहती है. इसलिए भारतीय पीएसयू से तेल सौदों की समीक्षा के लिए कह रही है.
तेल मंत्रालय ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड से कहा है कि वे सऊदी अरब को छोड़ कर दूसरे देशों से तेल सौदे करे ताकि भारत को फायदा हो सके. कंपनियों को सौदे की शर्तें ऐसी रखने को कहा गया है, जिससे उन्हें फायदा हो. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है. इस वजह से तेल की ग्लोबल कीमतों के उतार-चढ़ाव का भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ज्यादा असर पड़ता है. फरवरी में जब तेल की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई थीं तो उसने सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा था. इस पर सऊदी अरब का कहना था कि भारत सस्ती कीमत पर खरीदे गए तेल के रिजर्व से काम चलाएगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने की वजह से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई है. इससे अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है.
सऊदी अरब के रुख बाद भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने सऊदी अरब से कम तेल उठाने का फैसला किया है. सरकार अब खाड़ी देशों और ओपेक प्लस देशों पर तेल की निर्भरता खत्म करने के लिए लातिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों से तेल आयात करेगा. भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों ने अब तेल की स्पॉट खरीद 30-35 फीसदी से घटा कर 30 फीसदी कर दी है. भारत खाड़ी देशों से अपनी जरूरत का लगभग 60 फीसदी तेल आयात करता है. लातिन अमेरिका और अफ्रीका भारत के दो अन्य बड़े सप्लायर ब्लॉक है.