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प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामलला के वस्त्रों की बदली गई शैली,रामनवमी मेले का हुआ आगाज

 

अयोध्या। चैत्र शुक्ल नवरात्रि प्रारंभ होने के साथ ही अयोध्या में रामनवमी मेले का आगाज हो गया है। पहले दिन दो लाख श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में डुबकी लगाई। हनुमान गढ़ी और राम मंदिर में दर्शन पूजन किया। राम मंदिर में नवरात्रि प्रारंभ पर सुबह चार बजे रामलला का जलाभिषेक कर श्रृंगार पूजन किया गया।

प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात पहली बार प्रभु के वस्त्रों की शैली को बदला गयाः डॉ. अनिल मिश्र
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रक के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात पहली बार प्रभु के वस्त्रों की शैली को बदला गया है। मयूर व अन्य वैष्णव चिह्नों को रंग-बिरंगे रेशम के साथ सोने और चांदी के तारों से कढ़ाई किए गए सूती वस्त्र में श्रद्धालुओं को रामलला अद्भुत दर्शन हुआ।

गर्भगृह में चांदी का कलश स्थापित
मंदिर परिसर में 11.30 मिनट पर गर्भगृह में चांदी का कलश स्थापित किया गया। 11 वैदिक आचार्यों के द्वारा वाल्मीकि रामायण का नवाह परायण, राम रक्षास्त्रोत और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ 9 दिवसीय आयोजन की शुरुआत हुई है। मठ मंदिरों में रामकथा, रामलीला और भजन संध्या के अयोजन किए जा रहे हैं। दशरथ महल में डॉ. रामानंद दास, बड़ा भक्तमाल की बगिया में रमेश भाई ओझा, राम वल्लभा कुंज में प्रेमभूषण, सियाराम किला में प्रभंजनानंद शरण, हिंदू धाम डॉ. रामविलास दास वेदांती, आचार्य क लक्ष्मण दास और अन्य मंदिरों में भी वि रामकथा का संगीतमयी आयोजन क लोगों के लिए आकर्षण बना हुआ रि है। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी के संख्या में श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं।

रामलला के ललाट पर उतरेंगी की सूर्य किरणें
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला कार मस्तिकाभिषेक करेंगी। इसके लिए राम मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थाई रूप से ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम को स्थापित किया गया है। जहां से सूर्य की किरणें दर्पण से परिवर्तित होकर वर्टिकल पाइप के जरिए गर्भगृह में रामलला के मस्तक पर पांच मिनट तक 75 मिमी आकार का गोलाकार तिलक बनाएगी। राम मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए बीते 15 दिन से कार्य किया जा रहा था, जिसमें सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के वैज्ञानिकों ने सूर्य किरणों को रिफ्लेक्टर, दो दर्पण, तीन लेस और वर्टिकल पाइप के माध्यम से मार्ग परिवर्तित करने का सफल परीक्षण किया है, जिसके लिए सबसे पहले तीसरी मंजिल पर एक रिफ्लेक्टर बॉक्स को लगाया गया है, जिसमें एक मुख्य लेंस है जो बिना बिजली के 19 गियर के जरिए काम करेगा। वहीं प्रथम और द्वितीय तल से वर्टिकल पाइप को गर्भगृह में उतारा गया है, जहां से सूर्य की किरणे गर्भगृह में लगे दर्पण पर पड़ने के बाद 60 डिग्री में परिवर्तित होकर सीधे रामलला के मस्तक पर सुशोभित होंगी।

 

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