नई दिल्ली। भारत में प्रधानमंत्री का सुरक्षा कवच कहा जाए अभेद्य है। जापान में हाल में हुई पूर्व पीएम की हत्या को नजर डालें तो हमारे यहां ऐसा संभव ही नहीं है। एक ओर ही नहीं सभी दिशाओं में सुरक्षा पर कड़ी नजर रखी जाती है। उसमें भी कई परत के कवच होते हैं।
इस मामले में एसपीजी में लंबे समय तक रहे एक पूर्व अधिकारी के अनुसार सामान्य तौर से लोगों ने देखा होगा कि पीएम मोदी की सुरक्षा में तैनात गार्ड, कई अवसरों पर तीन-चार ‘बैलिस्टिक’ शील्ड लेकर चलते हैं। जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या कोई ऐसा दूसरा कार्यक्रम स्थल, जहां प्रधानमंत्री के आम लोगों के बीच जाने की संभावना होती है, वहां अतिरिक्त सुरक्षा घेरा भी लगाया जाता है।
बता दें कि जापान के पूर्व पीएम ‘शिंजो आबे’ की सार्वजनिक स्थल पर हुई हत्या से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस जगह पर उनकी हत्या की गई वहां सुरक्षा चूक बताई जा रही है। सुरक्षा एक्सपर्ट कहते हैं कि आबे पर सभी में पीछे से हमला किया गया।
मामले के एक्सपर्ट कहते हैं पहली चूक तो यही रही कि उनके सुरक्षा कर्मी कहां देख रहे थे। एक वीवीआईपी को केवल सामने से ही खतरा रहता है क्या, जो इस थ्योरी पर काम किया गया। सोशल मीडिया में घटना से जुड़े जो वीडियो वायरल हुए हैं उनसे यही लगता है कि पूर्व पीएम के सुरक्षा कर्मियों के पास जो ‘बैलिस्टिक’ शील्ड थी वह समय पर नहीं खुल सकी।
बता दें कि हमारे यहां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे वीवीआईपी की सुरक्षा के लिए भी ‘बैलिस्टिक’ ढाल इस्तेमाल की जाती है। आपात स्थिति में ये पीएम का खास सुरक्षा कवच है। माना जाता है कि हालांकि जापान के पूर्व पीएम ‘शिंजो आबे’ की सुरक्षा में हुई चूक भारत में संभव नहीं है। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ‘एसपीजी’ के पास गोलियां रोकने वाली जो ‘बैलिस्टिक’ ढाल होती है वह मात्र एक झटके से ही खुल जाती है।
सुरक्षा ऐसी कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता, होते हैं कई ‘बैलिस्टिक’ शील्ड
वीवीआईपी की सुरक्षा मामले में एसपीजी में लंबे समय तक रहे एक पूर्व अधिकारी बताते हैं कि सामान्य तौर से लोगों ने देखा होगा कि पीएम मोदी की सुरक्षा में तैनात गार्ड, कई अवसरों पर तीन-चार ‘बैलिस्टिक’ शील्ड लेकर चलते हैं।
खास मौके पर ज्यादा परतों की सुरक्षा
उन्होंने बताया सुरक्षा में जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या कोई ऐसा दूसरा कार्यक्रम स्थल, जहां प्रधानमंत्री के आम लोगों के बीच जाने की संभावना होती है, वहां अतिरिक्त सुरक्षा घेरा लगाया जाता है। एसपीजी कर्मी, कई सारे ब्लैक ‘बैग’ यानी ‘बैलिस्टिक’ शील्ड अपने साथ लिए रहते हैं। ये इसलिए होता है ताकि किसी हमले की स्थिति में एसपीजी कर्मी, पीएम को चारों तरफ से सुरक्षित रख सकें।
एक ‘बैलिस्टिक’ शील्ड में दो से तीन परतें
देश में पीएम और दूसरे वीवीआईपी के साथ मौजूद सुरक्षा कर्मियों के पास जो बैग होता है, वह बहुत आसानी से खुलता है। आपात स्थिति में मात्र एक झटके से वह ‘बैलिस्टिक’ शील्ड खुल जाती है। एक ‘बैलिस्टिक’ शील्ड में दो से तीन परतें होती हैं। हमले की स्थिति में सुरक्षा कर्मी, वीवीआईपी के चारों तरफ यह ढाल खोल कर बैठ जाते हैं।
हर दिन होती है शील्ड की चेकिंग
पूर्व अधिकारी के मुताबिक जापान में ‘शिंजो आबे’ की हत्या के दौरान वह शील्ड नहीं खुल सकी थी। संभवतया उस शील्ड पर चेन व दूसरी तरह का लॉक लगा हो। भारत में ऐसा नहीं है। इस शील्ड को रोजाना कई बार चेक किया जाता है। खास बात ये है कि हमारे यहां इस शील्ड को जटिलता से दूर रखा गया है।
खुलने में नहीं कोई बाधा
यहां डबल फोल्ड लॉक जैसा कुछ नहीं होता। बहुत सामान्य तरीके से और महज एक झटके में ही ये ढाल खुल जाती है। इसमें किसी तरह की कोई बाधा, जैसे चेन या लॉक आदि नहीं होता। एसपीजी कर्मी, जब चाहे इसे सेकेंड से पहले ही खोल सकता है।