रवि भोई की कलम से
कांग्रेस वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग छोड़ने का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे चार पेज के पत्र में श्री सिंहदेव ने कई चीजों का खुलासा किया है और अपना दर्द भी बयां किया है। कहा जा रहा है कि श्री सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से मुक्त होकर एक तरह से बगावती तेवर अपना लिया है। श्री सिंहदेव के पास फ़िलहाल चार विभाग हैं, जिसमें एक पंचायत और ग्रामीण विकास एक है। श्री सिंहदेव ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) और 20 सूत्रीय क्रियान्वयन विभाग के मंत्री बने रहने की इच्छा जाहिर की है। 2013 से 2018 के दौर में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव ने मिलकर तब की सरकार से लोहा लिया, लेकिन 2018 में सरकार बनने के साथ माहौल बदलने लगा और दूरियां बढ़ने लगी। विधायक बृहस्पत सिंह ने सिंहदेव के खिलाफ मोर्चा खोल लिया, फिर ढाई-ढाई साल का शिगूफा चला। मुख्यमंत्री के समर्थन में विधायक दिल्ली गए। कहते है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ढाई-ढाई की बाजी तो जीत गए, लेकिन आग ठंडी नहीं हुई, वह धीरे-धीरे सुलगती रही। श्री सिंहदेव ने ऐसे समय पंचायत विभाग छोड़ने का फैसला किया, जब सामने राष्ट्रपति चुनाव है और कांग्रेस के प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया रायपुर में हैं। माना जा रहा है कि विभाग छोड़ने की रणनीति से सत्ता के भीतर लड़ाई तेज होने के आसार हैं। सवाल उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में महाराष्ट्र जैसी घटना तो नहीं होगी? आगे क्या होगा समय बताएगा, लेकिन सिंहदेव की चिट्ठी से प्रदेश की राजनीति में बवंडर तोआगया है।
राष्ट्रपति के लिए छत्तीसगढ़ से अंतर्रात्मा की आवाज’ की उम्मीद नहीं
भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन ने राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी कार्ड चलते हुए श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। श्रीमती मुर्मू के सपोर्ट में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना के आ जाने से उनकी जीत पक्की हो गई है। छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस और बसपा विधायकों का वोट भी मुर्मू के पक्ष में जाएगा। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में मुर्मू को 19 विधायकों के वोट मिलेंगे, जिसमें दो आदिवासी विधायकही होंगे। भाजपा के पासदोआदिवासी विधायक हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों में आरक्षित 29 सीटें हैं, लेकिन आदिवासी वर्ग से 31 विधायक हैं। दो अनुसूचित जनजाति वर्ग के विधायक सामान्य सीटों से जीतकर आए हैं। जोगी कांग्रेस मुर्मू के पक्ष में मतदान के लिए कांग्रेस के आदिवासी वर्ग के विधायकों से आव्हान कर रही है, लेकिन कांग्रेस के किसी आदिवासी विधायकों के पार्टी लाइन से हटकर चलने की संभावना नहीं है। कहा जारहा है कि भाजपा क्रास वोटिंग के लिए प्रयासरत नहीं है और कांग्रेस को भी कोई शंका नहीं है, लेकिन मुर्मू की पत्रकारों से बातचीत न करने और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की पत्रकारों से बेवाकी चर्चा में है। वैसे कई संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुर्मू से भेंट की, पर यशवंतसे कांग्रेसी ही मिले।
जमीनी खरीदी पर मंत्री जी की शिकायत
चर्चा है कि महंगी जमीन को सस्ते में खरीदने को लेकर छत्तीसगढ़ के एक मंत्री निशाने पर आ गए हैं। कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने इसकी शिकायत एक केंद्रीय जांच एजेंसी में की है। शिकायत के आधार पर केंद्रीय एजेंसी एक्शन में आगई है। कहते हैं कि मंत्री जी के बारे में शिकायत की गई है कि उन्होंने करोड़ों की जमीन लाखों में खरीद ली। वैसे कहा जा रहा है कि जमीन-जायदाद बनाने में जिसको मौका मिलता है, वही बहती गंगा में हाथधो लेता है। खबर है कि भाजपा के एक नेता जब मंत्री थे, तब उन्होंने एकड़ के हिसाब से जमीन खरीद ली थी, और अब उनकी जमीन के आसपास से हाइवे गुजर रही है, तो वे मालामाल हो गए हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेसी मंत्री को संभवतः अपने पूर्ववर्ती की दूरदृष्टि भा गई हो और जमीन के खेल में हाथ आजमा लिए हों, परदेखना है केंद्रीय एजेंसी क्या करती है?
पर देश दौरे का दौर
अगस्त महीने में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और सचिव दिनेश शर्मा कनाडा जाएंगे। विधानसभा की लोकलेखा समिति के सदस्य अगस्त में ही गुजरात और राजस्थान के दौरे पर रहेंगे। विधानसभा की पत्रकार दीर्घा के सदस्यों का अगस्त में ही राजस्थान और गुजरात जाने की खबर है। विधानसभा अध्यक्ष और सचिव 20 से 26 अगस्त 2022 तक हैलिफैक्स, कनाडा में आयोजित होने वाले 65वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में भाग लेंगे। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 20 से 27 जुलाई के बीच निपट जाएगा, उसके बाद समय हीसमय है। इसका सदुपयोगदौरे में हो जाएगा।
जल जीवन मिशन की कमान विकासशील को
भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईएएस विकासशील को जल जीवन मिशन का नेशनल डायरेक्टर बनाया है। विकासशील जल शक्ति विभाग में एडिशनल | सेक्रेटरी भी हैं। विकासशील के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ में घर–घर पीने का पानी पहुंचाने के काम में तेजी आएगी और बजट भी पर्याप्त मिलेगा। कहा जा रहा है कि राज्य के गांवों में घर-घर पीने का पानी पहुंचाने का काम राष्ट्रीय औसत के मुकाबले धीमा है। हालांकि कुछ महीनों के भीतर यहां भी गति बढ़ी है और केंद्र सरकार से फंड भी रिलीज हुआ है,लेकिन सौर ऊर्जापंप के लिए फंड आबंटित करने के मसले को लेकर केंद्र सरकार की आपत्ति का निराकरण नहीं हुआ है।
कोयले के धंधे में अफसरों के लिंक
छत्तीसगढ़ में कोयले का कारोबार हमेशा से चर्चा में रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह कारोबार कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में है। कोयला ट्रांसपोर्ट से जुड़े कुछ कारोबारियों के यहाँ पिछले दिनों आयकर विभाग के छापे के बाद राज्य सरकार की नजर भी टेढ़ी हो गई। राज्य सरकार ने कई कंपनियों और कोल वाशरी पर छापे मारे। कहते हैं आयकर छापे में ट्रांसपोर्टरों से कुछ प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के लिंक होने के दस्तावेज मिल गए हैं। माना जा रहा है कि अगस्त महीने के बाद आयकर विभाग और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां छत्तीसगढ़ में सक्रिय होंगी। कहा जा रहा है कि आयकर विभाग को छापे के बाद की खानापूर्ति करने में एकाध महीने लग जाएगा, साथ में तब तक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी निपट जाएगा।
अध्यक्ष जी का चढ़ता पारा
कहते हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का पारा पिछले कुछ महीने से चढ़ा हुआ नजर आ रहा है। इसके कारण मरकाम जी को बडे जोश में भी बताया जा रहा है। आमतौर पर जहां जिस पार्टी की सरकार होती है, वहां सत्ता के साथ-साथ संगठन में भी मुख्यमंत्री की ही चलती है। चर्चा है कि पिछले कुछ महीनों में प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी मर्जी से ही तीर चला दिए। कहाजारहा कि घायल लोगों ने मरकामजी के सामने छाती भी पीटा, पर बुझे बाण ने उनके हाथ बांध दिए। चर्चा है कि कुछ फैसलों ने सत्ता और संगठन की दूरियां बढ़ा दी और अब सत्ता और संगठन में टकराव की गूंज राजीव भवन से बाहर सुनाई पड़ने लगी है।
राजधानी में बढ़ते अपराध
राजधानी में चाकूबाजी और लूट की घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी लोगों की पेशानी पर बल ला दिया है। एक मोबाइल के लिए गार्ड की हत्या हो या फिर नाम पूछने पर स्कूली बच्चे की हत्या को समाज के बिगड़ते तानाबाना के साथ सोशल मीडिया का दुष्परिणाम माना जा रहा है। अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ समाज की है। लेकिन समाज और पुलिस में पहले जो तालमेल हुआ करता था वह अब नजर नहीं आता है और न ही पुलिस का इकबाल दिखता है। यह सही है कि राजधानी बनने के बाद रायपुर की आबादी बेतहाशा बढ़ गई है और क्षेत्र भी विशाल हो गया है, पर राह चलते किसी की हत्या चिंतनीय और पुलिस को चिढ़ाने जैसा है। राजधानी में ऐसे ही अपराध बढ़ते रहे तो कानून के राजसे भरोसा ही उठ जाएगा। युवा वर्ग को सोशल मीडिया के गुण-दोष को समझाते हुए पुलिस को अपराध रोकना होगा, इसके लिए उसे समाज का भरोसा जीतना होगा।
(लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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