टोक्यो ओलंपिक में बॉक्सिंग में देश को सबसे ज्यादा मेडल की उम्मीद हैं. महिलाओं में जहां एमसी मैरीकोम पदक की प्रबल दावेदार हैं वहीं पुरुषों में अमित पंघाल से देश को गोल्ड की लाने की उम्मीद होगी. 52 किलोग्राम वेट कैटेगरी में अमित इस समय दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी हैं. वह ओलंपिक जाने वाले भारत के पहले बॉक्सर हैं जिनकी अपनी कैटेगरी में नंबर वन रैंक है. अमित पंघाल अपने बड़े भाई अजय पंघाल को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं और उन्हें अपना सबसे अच्छा कोच भी मानते हैं.
अमित पंघाल हरियाणा के रोहतक जिले में एक किसान परिवार से आते हैं. पहले वो 48 किलोग्राम वेट कैटेगरी में खेलते थे. इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसीएशन (AIBA) ने जब 48 किलोग्राम वेट कैटेगरी को ओलंपिक से हटाने का फैसला लिया तब पंघाल ने 52 किलोग्राम वेट कैटेगरी में शिफ्ट कर लिया. अपने दमदार पंचों से पंघाल दिग्गजों को मात देने में सक्षम है. इसी साल एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में मिली अप्रत्याशित हार को भुलाकर वो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं.
एशियाई चैंपियनशिप के फाइनल में हार से हुआ हूं और मजबूत– पंघाल
पंघाल के अनुसार एशियाई चैंपियनशिप के फाइनल में मिली हार ने उन्हें और मजबूत बनाया है. पंघाल यहां फाइनल में मौजूदा ओलंपिक एवं विश्व चैंपियन (2019) उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज जोइरोव शाखोबिदीन से हार गए थे. उन्होंने कहा, “जो बीत गया उस बारे में अब मैं ज्यादा नहीं सोच रहा हूं. अब मेरा पूरा ध्यान टोक्यो पर है. अगर टोक्यो में हम दोनों का आमना सामना होता है तो मैं उन्हें हरा दूंगा. उसकी रैंकिंग पांचवीं है, ऐसे में क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल में हमारा मुकाबला हो सकता है. एशियाई चैंपियनशिप की कसक को मैं ओलंपिक में जरूर पूरा करूंगा.”
प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो स्वर्ण जीतने वाले एकमात्र भारतीय
अमित पंघाल ने 2017 में नैशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. उसके बाद इसी साल एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतते ही वो सुर्खियों में आ गए. उन्होंने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में स्वर्ण पदक हासिल किया और फिर वह 2018 में एशियाई चैम्पियन भी बने. बता दें कि यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो बार स्वर्ण पदक हासिल करने वाले पंघाल इकलौते भारतीय मुक्केबाज हैं. 49 किलोग्राम वर्ग के ओलंपिक कार्यक्रम से हटने के बाद 2018 में उन्होंने 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया.
सितंबर 2019 में AIBA वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पीयन्शिप में पंघाल ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. वो इस प्रतियोगिता में में ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय हैं. पंघाल इसके अलावा 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2020 के बॉक्सिंग विश्व कप में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. 2019 से ही एआईबीए AIBA की रैंकिंग में वो शीर्ष स्थान पर हैं.
बड़े भाई अजय को मानते हैं अपना सबसे अच्छा कोच
अमित पंघाल के पिता विजेंदर सिंह पेशे से किसान हैं. वहीं उनके बड़े भाई भारतीय सेना में हैं. वो अपनी सफलता का श्रेय अपने बड़े भाई को देते हैं जिन्होंने उन्हें बॉक्सर बनने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, “मेरे बड़े भाई अजय को मेरी सफलता का श्रेय जाता है. वो मेरे सबसे अच्छे कोच हैं. मैं कोशिश करता हूं कि हर मुकाबले से पहले अपनी रणनीति को लेकर मैं उनसे बात करूं. वो खुद भी एक बेहतरीन बॉक्सर रहे हैं.”
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