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रक्षाबंधन की थाली में जरूरी है नारियल और जल कलश

रक्षाबंधन पर पूजा की थाली में कुमकुम, हल्दी, चावल, नारियल, रक्षा सूत्र,  मिठाई,  दीपक और गंगा जल से भरा कलश रखना जरूरी बताया गया है. इनमें कई चीजों के पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं तो कुछ आध्यत्मिक रूप से जरूरी हैं. कुमकुम पूजा की सबसे पहली सामग्री है, जो थाली में अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्यों की शुरुआत तिलक के साथ होनी चाहिए.

थाली में चावल का इस्तेमाल होता है, चावल को अक्षत कहा गया है यानी जो अधूरा ना हो. यह शुक्र ग्रह से संबंधित होने से जीवन में सुख सुविधाओं का दाता है. माना जाता है कि तिलक-चावल लगाने से भाई के जीवन में हमेशा सुख सुविधाएं बढ़ती रहेंगी. इसके अलावा पूजा की थाली में नारियल का बेहद महत्व है, क्योंकि तिलक करने के बाद बहन भाई के बाद हाथ में नारियल दे देती है, श्रीफल यानी लक्ष्मी फल होने के चलते इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है.

इसी तरह रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ शांत होते हैं. शरीर में अधिकांश रोग इन्हीं तीन दोषों में आए बदलाव के चलते उभरते हैं. रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इनका संतुलन बना रहता है. राखी बांधने के बाद मीठा खिलाने का चलन है, इसके पीछे मान्यता है कि दोनों के रिश्तों में पूरी उम्र मिठाई जैसी ही मिठास बनी रहे. राखी बांधने के बाद बहन भाई का दीपक से आरती उतारती है. इससे भाई की सभी बुरी नजरों से रक्षा होती है.

तांबे के कलश में गंगाजल 

पूजा की थाली में गंगा जल से भरा कलश भी रखा जाता है. रिवाज के अनुसार कलश तांबे का होना चाहिए. इसके जल से ही कुमकुम को गीलाकर भाई को तिलक लगाया जाता है. हिंदू धर्म में हर शुभ काम की शुरुआत कलश भरे जल से होती है, जिसमें सभी पवित्र तीर्थ और देवी देवताओं का वास माना गया है, इसलिए रक्षाबंधन को भी भाई की पूजा से पहले गंगाजल भरा कलश पूजा की थाल में रखना शुभ माना गया है.

 

 

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