परसा। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का द्वितीय कोयला खदान छत्तीसगढ़ के परसा में है। इसके लिए आने वाले तीन वर्षों में जरुरत की कुल भूमि के लिए ग्राम साल्हि और जनार्दनपुर के लोग अपनी भूमि देने को तैयार हैं। लगभग नब्बे फीसदी लोगों ने अपनी जमीन का मुआवजा ले लिया है।
जमीन के बदले अब सभी निवासियों के परिवार को नौकरी मिलने का इंतजार है। वहीं सिर्फ 10 फीसदी लोग ही ऐसे बचे हैं जो किसी बहकावे में आकर मुआवजा लेने से इन्कार कर दिया है। भारत सरकार की पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन नियम के तहत जो व्यक्ति सरकार की किसी परियोजना में अपनी जमीन देता है उसके घर के किसी एक वयस्क को नौकरी का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ राज्य और केंद्र सरकारों ने राजस्थान की परसा खदान को हाल ही में नियमानुसार आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी दे दी थी। इसको लेकर जिन ग्रामीणों ने अपनी जमीन इस परियोजना के लिए दी थी उनके लिए रोजगार के नए विकल्प खुल जाएंगे। स्थानीय लोगों ने हाल ही में छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था की वह बाहरी लोगों के दबाव में न आएं और परसा खदान को जल्दी शुरू करें।
राजस्थान कोयले के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर
उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) की ताप विद्युत परियोजनाओं के लिए सरगुजा जिले में तीन कोल ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन केंद्र सरकार द्वारा कई साल पहले आवंटित किए गए थे। परसा खदान के लिए राजस्थान सरकार को केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की जरूरी अनुमति भी मिल गयी है।
हाईकोर्ट में याचिका खारिज
मामले में किन्तु इसके संचालन के लिए होने वाली प्राथमिक प्रक्रिया का कुछ बाहरी लोग विरोध कर रहे हैं। अभी इन्हीं लोगों द्वारा परसा कोल परियोजना के विरूद्ध हाईकोर्ट में लगायी गई सभी पांच याचिकाएं खारिज हो गई है। इसके देरी से हजारों स्थानियों को रोजगार मिलने में देरी हो रही है।
देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य होगा
माना जा रहा है कि अगर छत्तीसगढ़ राज्य की बात करें तो यह देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादन करने वाला राज्य है। वहीं परियोजना की देरी से राज्य को करोड़ों रुपयों के राजस्व की भी हानि हो रही है।
राजस्थान के लिए तीन कोयला ब्लॉक
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े कोयला उत्पन्न करने वाले छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। इसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया है।
खदान खुलने से रोजगार के मिलेंगे अवसर
आज राजस्थान की पहली ब्लॉक परसा ईस्ट एवं केते बासेन खदान अकेले पर करीब 5000 से ज्यादा परिवार निर्भर है। यह संख्या बाकी दो खदानों के शुरू हो जाने से तीन गुनी हो जाएगी। इससे रोजगार के लिए स्थानीय ग्रामवासियों का पलायन भी कम होगा। साथ ही राजस्थान के विद्युत निगम द्वारा CSR के अनेक कार्यक्रमों का विस्तार होगा।