रायपुर। राज्यसभा में संसद के शून्यकाल में आज बालको का मामला उठाया गया। छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय ने कोरबा स्थित बालको की ओर से की जा रही गड़बड़ियों को रखा। अनियमितताओं और स्थानीय युवाओँ के साथ की जा रही उपेक्षा की केंद्र से जांच की मांग की।
शून्यकाल में मुद्दा उठाते हुए सांसद सरोज ने कहा कि भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित भारत अलुमिनियम कंपनी का 51% शेयर स्टरलाइट कंपनी को बेच दिया गया था। उस वक्त इस कंपनी का सालाना उत्पादन लगभग एक लाख टन था जो वर्तमान में लगभग 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो चुका है। यह उपक्रम देश के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े अलुमिनियम उत्पादकों में से एक है। सांसद ने आज कंपनी में जारी इन्हीं अनियमितताओं की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट किया।
सांसद पांडेय ने बताया कि शुरुआती उत्पादन प्रतिवर्ष 1 लाख टन से बढ़ाकर वर्तमान में 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो गया है, लेकिन अभी भी कंपनी ऑडिट रिपोर्ट में लगातार नुकसान दिखा रही है, जिससे टैक्स देने से बचा जा सके। साथ ही अन्य सामाजिक दायित्व के कार्य न किये जा सकें। कंपनी सीएसआर का पालन न करके अपने सभी वित्तीय दस्तावेजों को भी पब्लिक डोमेन में नहीं रख रही है।
पांडेय ने कहा कंपनी के क्षमता विस्तार की अनुमति में भी अनेक अनियमितताएं हैं। जिस जमीन पर नए प्लांट बने हैं उस जमीन का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसे स्थानीय प्रशासन से छुपाया गया और अवैध रूप से अनुमति प्राप्त की गई।
सदन में सासंद ने कहा कि ये एक गंभीर विषय है और इसकी तुरंत जांच की जानी चाहिए। किसी भी उपक्रम की स्थापना इसीलिए की जाती है कि उस क्षेत्र का विकास हो। वहां के स्थानीय निवासियों को रोजगार मिल सके, लेकिन कंपनी इन दोनों मूल नियमो का उल्लंघन कर रही है।
सदन में जानकारी दी गई कि कंपनी ने स्थानीय मूलभूत सुविधाओं के लिए ना कोई काम किया ना ही स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया। आईटीआई के छात्रों को प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें एक समय बाद हटा दिया जाता है। वहीं उनकी जगह नए लोगों को लेकर उनके साथ भी वही व्यवहार किया जाता है। उपक्रम के दैनिक कार्यों को निजी ठेकेदारों को ठेके पर दे दिया जाता है, जो बाहर के कार्मिकों से कार्य करवाते हैं और स्थानीय युवक बेरोजगार रह जाते हैं। इस पूरे मामले में सांसद सरोज पांडेय ने सरकार से जांच कराने की मांग की है।