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ऐसा पहली बारः रात 11 बजे खुला हाई कोर्ट, ग्रामीणों की सुनी फरियाद, बेदखली पर लगाई रोक

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ कि ग्रामीणों की याचिका पर गुरुवार रात 11 बजे हाई कोर्ट खुला। इस दौरान कोर्ट ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए फरियादी ग्रामीणों को अंतरिम राहत दी। उन्हें घर से बेदखल करने पर रोक लगा दी गई।

महासमुंद जिले के बागबहरा के अतिक्रमण के मामले में ग्रामीणों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर कोर्ट ने 10 अगस्त तक रोक लगा दी है। बता दें कि 75 साल से सरकारी जमीन पर कबीज लोगों को बेदखल करने पहुंचे सरकारी अमले को हाईकोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आधी रात को सुनवाई की।

मामला बागबहरा क्षेत्र के लालपुर का है। जहां छोटे- बड़े झाड़ के जंगल में 75 साल से रह रहे ग्रामीणों को तहसीलदार ने बेदखली का नोटिस जारी किया था। घबराए ग्रामीणों ने बीती रात 8 बजे हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। याचिकाकर्ता के वकील ने रजिस्ट्री के माध्यम से अर्जेंट सुनवाई का हवाला देते अनुरोध किया था। मामले की गंभीरता के मद्देनजर जस्टिस पी सेम कोशी ने रात 11 बजे सुनवाई की और कार्रवाई पर रोक लगाई।

जमीन पर 75 साल से हैं लोग काबिज
75 साल से भी ज्यादा समय से यहां पर रह रहे लोगों में किसी ने दो, तो किसी ने तीन से चार पीड़ियां देख ली हैं। गुरुवार देर शाम ग्रामीणों के मकान तोड़ने के लिए प्रशासनिक अमला पहुंच गया। ग्रमीणों ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए देर शाम करीब 8 बजे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई की मांग की। जिस पर जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच ने रात 11 बजे केस की सुनवाई की और कब्जेधारियों को राहत दी।

कब्जा हटाने केवल 24 घंटे का शॉर्ट नोटिस मिला
प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों की ओर से उनके वकीलों ने हाईकोर्ट को बताया कि उक्त स्थल पर वे आजादी के पहले से निवास कर रहे हैं। यहां पर प्रशासन ने कार्रवाई के लिए महज 24 घंटे का शॉर्ट नोटिस दिया था।

यहां रहने वाले पटाते हैं हर तरह का टैक्स
कोर्ट को जानकारी दी गई कि यहां रहने वाले ग्रामीण सरकार को हर तरह का टैक्स दे रहे हैं। अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस पीसैम कोशी ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रशासन की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को तय की है।

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