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राष्ट्रमंडल खेल : सुधीर ने भारत के लिए जीता छठा स्वर्ण, पैरा-पावरलिफ्टिंग में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट

बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के पैरा-पावरलिफ्टर सुधीर ने स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया है। वह राष्ट्रमंडल खेलों में पैरा-पावरलिफ्टिंग (दिव्यांग एथलीट्स की वेटलिफ्टिंग) में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं। इससे पहले 2014 में पावरलिफ्टर सकिना खातून ने कांस्य पदक अपने नाम किया था। सुधीर ने पुरुषों के हेवीवेट कैटेगरी में 212 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

सुधीर ने रचा इतिहास

87.30 किलो वजन वाले सुधीर ने रैक हाइट 14 के साथ पहले प्रयास में 208 किलो वजन उठाया। वहीं, दूसरे प्रयास में उन्होंने 212 किलो वजन उठाया। 212 किलो वजन की लिफ्ट के साथ सुधीर ने नया गेम्स रिकॉर्ड भी कायम किया। अपने आखिरी अटैम्प्ट में सुधीर 217 किलो वजन उठाने में नाकाम रहे। 134.5 पॉइंट्स लेकर सुधीर टॉप पर रहे और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह भारत के लिए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में छठा स्वर्ण पदक है। इससे पहले वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू, जेरेमी लालनिरुंगा और अचिंता शेउली स्वर्ण जीत चुके हैं। वहीं, महिला लॉन बॉल टीम और पुरुष टेबल टेनिस टीम ने भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। भारत के लिए यह कुल 20वां पदक रहा। इनमें छह स्वर्ण, सात रजत और सात कांस्य पदक शामिल हैं। भारत पदक तालिका में सातवें स्थान पर है।
27 साल के सुधीर ने स्वर्ण पदक के साथ बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पैरा खेलों में पदकों का खाता खोला। मेन्स हेवीवेट कैटेगरी में सुधीर के बाद नाइजीरिया के इकेचुकु क्रिस्टियन ओबिचुकु ने 133.6 अंकों के साथ रजत पदक जीता, जबकि स्कॉटलैंड के मिकी यूल ने 130.9 अंकों के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।
सुधीर ने इससे पहले इसी साल जून में दक्षिण कोरिया में विश्व पैरा पावरलिफ्टिंग एशिया-ओशिनिया ओपन चैंपियनशिप में पुरुषों के 88 किग्रा भारवर्ग में 214 किलोग्राम की सर्वश्रेष्ठ लिफ्ट के साथ कांस्य पदक जीता था। सुधीर ने साथ ही 2022 हांग्झू एशियाई पैरा खेलों के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है।

पावरलिफ्टिंग में कैसे मिलते हैं अंक?

पावरलिफ्टिंग में एथलीट्स को तीन अटैम्प्ट दिए जाते हैं। वजन उठाने पर शरीर के वजन और तकनीक के अनुसार अंक मिलते हैं। समान वजन उठाने पर शारीरिक रूप से कम वजन वाले खिलाड़ी को दूसरे की तुलना में अधिक अंक मिलते हैं। सुधीर पांच वर्ष की आयु में पोलिया का शिकार हो गए थे। इसके बाद 2013 में सोनीपत में खुद को फिट रखने के लिए पावरलिफ्टिंग शुरू की थी।
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