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प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भूपेश बघेल को केंद्र सरकार की चेतावनी

bhupesh baghel

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर राज्य की भूपेश बघेल सरकार और केंद्र सरकार में आमने-सामने है। बता दें कि दोनों के बीच विवाद के चलते आवास विहीन लोगों को पक्के आवास मिलने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को चेताया है।

केंद्र की तरफ से कहा गया है कि अगर राज्य प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण को लागू करने में सक्षम नहीं है तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी अन्य मुख्य ग्रामीण योजनाओं के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को अपने समर्थन पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया जाएगा।

दरअसल केंद्र की यह चेतावनी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य में इस योजना को लागू करने के लिए जरूरी अपने हिस्से के पैसे को जारी करने में विफल रहने के बाद आई है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 7.8 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा था। लेकिन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राज्य अपने हिस्से की राशि जारी करने में अक्षम रहा, जिसके कारण 562 करोड़ रुपये की राशि और योजना की असंतोषजनक प्रगति के चलते इस लक्ष्य को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया।

2020-21 में केंद्र ने प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के तहत 6.4 लाख घरों का निर्माण लक्ष्य दिया था। जिसमें से राज्य ने अपने हिस्से की राशि जारी करने में वित्तीय बाधाओं और कठिनाई का हवाला दिया। वहीं राज्य ने 2020-21 के लिए केवल 1.5 लाख घरों का लक्ष्य रखा था। अपने हिस्से की राशि को जारी करने के लिए कई मौकों पर संबंधित मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ सरकार से आग्रह किया इसके लिए पिछले साल जून, सितंबर और नवंबर में राज्य सरकार को पत्र भेजे गए थे।

सूत्रों का कहना है कि इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने न तो संतोषजनक प्रगति दिखाई और न ही राज्य के हिस्से के 562 करोड़ रुपये को जारी किया। सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पिछले तीन-चार साल में इस योजना को समस्या का सामना करना पड़ा है। दरअसल प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के लिए आने वाले खर्च को केंद्र और राज्य 60:10 के अनुपात में साझा करते हैं। उत्तर-पूर्व में हिमालयी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के मामले में यह अनुपात 90:10 है।

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