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महुआ से बन रहा लजीज गुलाब जामुन

जशपुर से लौटकर राजेन्द्र ठाकुर छत्तीसगढ़ी व्यंजन की सूची में अब वनोपज महुआ का गुलाब जामुन भी जुड़ गया। महुआ से लोगों ने अभी तक केवल शराब बनते ही देखा और सुना था। लेकिन यह कमाल किया है जशपुर की आशाएं महिला स्व सहायता समूह ने कर दिखाया है। समूह ने महुआ से बच्चों के लिए कुकीज, चाकलेट, गटागट, केक और स्वादिष्ट मालपुआ भी बना कर बाजार में उतारा है।

आशाएं महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती हरमीत कौर पाहवा का कहना है कि महिलाएं अपने घरों में परिवार के लिए कुकिंग तो करती हैं। कुकिंग में विभिन्न राज्यों के व्यंजन बनाने का प्रयोग भी करती रहती हैं। महिलाओं की इसी प्रयोग को लेकर छत्तीसगढ़ के वनोपज में प्रमुख महुआ से व्यंजन बनाने का विचार आया। ऐसी महिलाओं से महुआ से व्यंजन बनाने का आइडिया शेयर किया। आनन फानन में दस महिलाएं तैयार हो गईं।

हम सबने मिल कर एक महिला स्व सहायता समूह का गठन किया । समूह में श्रीमती हरमीत कौर अध्यक्ष के अलावा लरीशा कुजूर, श्रीमती ललिता चैहान, श्रीमती किरण ठाकुर, श्रीमती विभा देवी, श्रीमती मधु शर्मा, श्रीमती सुषमा गुप्ता, श्रीमती सुनीता विश्वकर्मा और श्रीमती एकता रानी वर्मा शामिल हैं। समूह की महिलाओं ने सबसे पहले  महुआ का गुलाब जामुन बना कर जशपुर शहर के लोगों को टेस्ट कराया। लोगों ने बहुत पसंद किया। मांग भी आने लगी। समूह की महिलाओं ने मिलकर महुआ का गुलाब जामुन बनाने का काम शुरू कर दिया और शहर में ही शादी-व्याह, जन्मदिन की पार्टियों में सप्लाई करने लगी। अब महुआ के गुलाब जामुन का प्रचार होने लगा। कलेक्टर महादेव कावरे सहित अन्य अधिकारियों तक महुआ गुलाब जामुन की जानकारी पहंुच गई थी।

कलेक्ट्रेट परिसर में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के लिए गढ़ कलेवा बनाने का काम पूरा हो गया था और इसे शुुरू करने के लिए टेडर निकालने की तैयारी प्रशासिनक स्तर पर चल रही थी। श्रीमती पाहवा ने बताया कि उनकी स्व सहायता समूह ने भी टेंडर भरा। और उन्हे गढ़ कलेवा संचालन का कार्य मिल गया। अब समूह ने छत्तीसगढ़ी व्यंजनों में महुआ गुलाब जामुन को भी शामिल कर लिया। अन्य छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की तरह महुआ गुलाब जामुन के लिए भी लोग गढ़ कलेवा आने लगे। सरकारी बैठकों में भी खाने के साथ ही महुआ गुलाब जामुन की मांग विशेष रूप से आ रही थी।

अब आशाएं महिला स्व सहायता समूह ने दूसरे राज्यों में भी छत्तीसगढ़ की विशेष व्यंजन महुआ गुलाब जामुन को भेजने की तैयारी शुरू की। पहले समूह ने ट्रायल के लिए राजस्थान, मप्र, महाराष्ट्र में इसकी सप्लाई की। मांग बढ़ने लगी अभी समूह के पास इतनी मांग है कि महआ गुलाब जामुन की सप्लाई पूरी नहीं हो पा रही है। बच्चों की पसंदीदा चाकलेट, गटागट, कुकीज और केक भी महुआ से बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसकी भी अच्छी डिमांड आ रही है।

ऐसे बनाते हैं महुआ गुलाब जामुन

महुआ का गुलाब जामुन बनाने के लिए सबसे पहले महुआ को धोया, फिर सुखाया जाता है। इसके बाद इसके रेशे निकाल कर घी से भुन कर इसकी पिसाई कराई जाती है। पीसे हुए महुआ में मैदा, दूध पावडर मिलाकर दूध से मिक्सिंग कर गोल आकार में काटकर तेल या घी से तल कर चाश्नी में डुबाया जाता है।

 महुआ गुलाब जामुन औषधीय भी

महुआ गुलाब जामुन केवल स्वादिष्ट व्यंजन ही नहीं है, इससे पुराने से पुराना जोड़ों का दर्द भी ठीक हो जाता है।गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह काफी फायदेमंद है। पैरालिसिस के मरीजों के लिए भी लाभकारी बताया जाता है।

 

 

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