61 कंपनियों पर अवैध तरीके से चीन को लौह-अयस्क (Iron Ore) भेजने के आरोप को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लायक बताया है. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार का जवाब देखने के बाद आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा. इस दौरान जजों ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने पूरी तरह रिसर्च किए बिना याचिका दाखिल कर दी है.
अलग-अलग विषयों पर जनहित याचिका दाखिल करते रहने वाले वकील एम एल शर्मा की याचिका में कहा गया है कि भारत की 61 कंपनियां 2015 से तस्करी के ज़रिए चीन में लौह-अयस्क भेज रही हैं. यह कंपनियां रिकॉर्ड की हेरा-फेरी कर टैक्स की चोरी कर रही हैं. पिछले साल नवंबर में इस याचिका को सुनते हुए कोर्ट ने इन कंपनियों को पक्ष बनाने से मना किया था. कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता इन कंपनियों पर स्मगलिंग का आरोप लगा रहा है, लेकिन उसे यह जानकारी तक नहीं कि किसने कितना अयस्क भेजा है. कितने टैक्स की चोरी की है.
हालांकि, कुछ महीने बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरोप की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार और कुछ कंपनियों से जवाब मांग लिया था. आज सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब के लिए 2 हफ्ते का समय मांगा. कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 3 हफ्ते बाद सुनवाई की बात कही. इस दौरान चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा, “अगर यह आरोप सही हैं, तो इनकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.”
आज भी कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा, “आपको हर विषय पर पहले याचिका दाखिल करनी होती है. बाद में याचिका में कमियां बताने पर संशोधन की दरख्वास्त करते हैं. आपको पहले रिसर्च करनी चाहिए.”
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