मंदी की वजह से जीएसटी कलेक्शन में लगातार गिरावट आ रही है. जीएसटी कलेक्शन में गिरावट को देखते हुए सरकार ने देर से टैक्स जमा करने वालों नकेस कसने की तैयारी की है. अब सरकार ने कहा है कि जीएसटी पेमेंट में देरी की स्थिति में एक सितंबर से नेट टैक्स पर ब्याज लगेगा.
उद्योग जगत की ओर से इस साल जीएसटी भुगतान में देरी पर लगभग 46,000 करोड़ रुपये की ब्याज वसूली पर चिंता जताई थी. ब्याज कुल देनदारी पर लगाया गया था. इसके बाद जीएसटी काउंसिल ने मार्च की अपनी बैठक में कहा था कि एक जुलाई 2017 से टोटल टैक्स देनदारी पर जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज लिया जाएगा और इसके लिए कानून संशोधित किया जाएगा.
कारोबारी फैसले को अदालत में दे सकते हैं चुनौती
करोड़ों करदाताओं से जीएसटी को लागू किए जाने से तीन साल से अधिक अवधि के लिए ब्याज की मांग की जा सकती है. लिहाजा ब्याज की मांग को चुनौती देते हुए कारोबारी एक बार फिर अदालत का रुख कर सकते हैं. इनपुट टैक्स क्रेडिट को सकल जीएसटी देनदारी से घटाने पर शुद्ध जीएसटी देनदारी का पता चलता है. ऐसे में ग्रॉस जीएसटी देनदारी पर ब्याज की गणना से कारोबारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. जीएसटी भुगतान में देरी होने पर सरकार 18 फीसदी की दर से ब्याज लेती है.