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असम : यहां है ऐसा गांव जहां रहता है सिर्फ एक परिवार, जानिए क्यों नहीं रहना चाहते लोग यहां

**EDS: SCREENSHOT VIA @isro VIDEO on Aug 26, 2023** Bengaluru: Chandrayaan-3 Pragyan rover roams around the 'Shiv Shakti Point', Vikram' lander's touchdown spot, on the Moon at the south pole. (PTI Photo) (PTI08_26_2023_000317A)

नेशनल न्यूज़। असम के नलबाड़ी जिले का बरधनारा गांव लगभग वीरान हो गया है जहां अब केवल एक परिवार ही रहता है। कुछ साल पहले राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने गांव की ओर जाने वाली सड़क का उद्घाटन किया था। पिछली शताब्दी में यह एक समृद्ध गांव हुआ करता था, लेकिन 2011 की जनगणना में यहां केवल 16 लोग ही बचे थे। उचित सड़क की कमी के कारण नंबर-2 बरधनारा गांव में अब केवल पांच सदस्यों वाला एक ही परिवार बचा है। बिमल डेका, उनकी पत्नी अनिमा और उनके तीन बच्चे- नरेन, दीपाली और सेउती – मुख्यालय शहर नलबाड़ी से लगभग 12 किमी दूर घोगरापारा क्षेत्र के इस गांव के एकमात्र निवासी हैं। दीपाली ने कहा, “स्कूल और कॉलेज जाने के वास्ते हमें मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए पानी और कीचड़ भरे रास्तों से दो किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।

मानसून के दौरान हम नाव से यात्रा करते हैं।” अनिमा अपने बच्चों को स्कूल-कॉलेज से लाने तथा पहुंचाने के लिए नाव चलाती हैं, लेकिन कठिन परिस्थितियों के बावजूद परिवार ने तीनों बच्चों के लिए उचित शिक्षा सुनिश्चित की है। दीपाली और नरेन स्नातक हैं तथा सेउती उच्चतर माध्यमिक की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने बताया कि बिजली नहीं होने से बच्चे केरोसिन लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते हैं और जब बारिश होती है तब परिवार के लिए नाव ही परिवहन का एकमात्र साधन बन जाती है, क्योंकि बारिश के कारण गांव के सभी रास्ते जलमग्न हो जाते हैं। आसपास के लोगों का दावा है कि 162 हेक्टेयर में फैले इस गांव की हालत कुछ दशक पहले तक इतनी दयनीय नहीं थी। उच्च कृषि उपज के लिए प्रसिद्ध इस गांव की ओर जाने वाली सड़क के उद्धाटन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बिष्णुराम मेधी ने कुछ दशक पहले यहां का दौरा किया था। अनिमा ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता ने हालात को और भी खराब कर दिया, जिसकी वजह से लोग यहां से चले गए।

उन्होंने दावा किया, ”जिला परिषद, गांव पंचायत या खंड विकास कार्यालय जैसी स्थानीय एजेंसियां ​​यहां काम करने में कोई रुचि नहीं रखती हैं।” अनिमा ने कहा कि कृषि और पशुपालन उनका मुख्य आधार है। हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन ‘ग्राम्य विकास मंच’ ने गांव में एक कृषि फार्म स्थापित किया है, जिससे परिवार को अब अकसर अन्य लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिलता है। फार्म के अध्यक्ष पृथ्वी भूषण डेका ने कहा कि गांव कभी समृद्ध था, लेकिन बार-बार आने वाली बाढ़ ने इसे उजाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सड़क बनाती है और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है, तो कृषि क्षमता को फिर से साकार किया जा सकता है और लोग गांव लौटेंगे।

 

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