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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लगती सीमा पर आगामी चुनावों में लोकतंत्र की बहार

अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से लगती सीमा पर आगामी चुनावों में लोकतंत्र की बहार रहेगी। कारण, यहां के तीन जिलों में मतदाताओं की संख्या राजधानी श्रीनगर समेत मध्य कश्मीर के तीन जिलों श्रीनगर, गांदरबल व बडगाम से अधिक है।

नई सरकार बनाने में उत्तरी कश्मीर की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद मतदाताओं के लिहाज से जो तस्वीर उभरकर सामने आई है उसके अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से लगती सीमा पर आगामी चुनावों में लोकतंत्र की बहार रहेगी। कारण, यहां के तीन जिलों में मतदाताओं की संख्या राजधानी श्रीनगर समेत मध्य कश्मीर के तीन जिलों श्रीनगर, गांदरबल व बडगाम से अधिक है। पिछले चुनावों चाहे विधानसभा हो या लोकसभा या फिर जिला विकास परिषद (डीडीसी) या पंचायत चुनाव इन सभी इलाकों में जमकर वोट पड़े थे। माना जा रहा है कि नई सरकार बनाने में उत्तरी कश्मीर की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।

चुनाव कार्यालय से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि एलओसी से सटे बांदीपोरा जिले की गुरेज सीट पर पूरे प्रदेश में सबसे कम मतदाता हैं। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां मात्र 19058 वोटर ही हैं। आतंकवाद के गढ़ दक्षिण कश्मीर के चार जिलों शोपियां में सबसे कम 1.71 लाख मतदाता हैं, जो पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। सबसे कम किश्तवाड़ में 1.55 लाख और तीसरे स्थान पर घाटी का गांदरबल जिला है जहां 1.77 लाख वोटर हैं।

इतना ही नहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से लगते तीन जिलों कुपवाड़ा, बांदीपोरा व बारामुला में मतदाताओं की संख्या प्रदेश की राजधानी श्रीनगर समेत मध्य कश्मीर के तीन जिलों गांदरबल व बडगाम से काफी अधिक है। मध्य कश्मीर में 12.79 लाख तो उत्तर कश्मीर में 13.14 लाख वोटर हैं। सबसे अधिक दक्षिण कश्मीर में 13.86 मतदाता पंजीकृत हैं। हालांकि, अभी मतदाता पुनरीक्षण का काम चल रहा है जिसमें वोटर की संख्या बढ़ेगी।

एक लाख से अधिक वोटर वाली सीटों में बारामुला की राफियाबाद

सूत्रों ने बताया कि एक लाख से अधिक वोटर वाली सीटों में बारामुला की राफियाबाद, बांदीपोरा की दो सीटें-सोनावारी व बांदीपोरा, श्रीनगर की जडिबल, बडगाम जिले में बडगाम, कुलगाम जिले में कुलगाम, अनंतनाग की डोरू सीट शामिल है। परिसीमन में घाटी की सीटों में काफी उलटफेर हुआ है। नेकां उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समेत कई दिग्गजों की परंपरागत सीटों के क्षेत्र में बदलाव हो गया है। परिसीमन में 90 सीटों में कश्मीर में 47 और जम्मू में 43 सीटें हैं। सत्ता संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। पहले दोनों संभागों में नौ सीटों का फर्क था, जो अब चार रह गया है। पहले कश्मीर में 46 व जम्मू में 37 सीटें थीं। परिसीमन में एक सीट कश्मीर व जम्मू में छह सीटें बढ़ाई गई हैं।

 

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