Close

विचार के बिना हमारा विकास संभव नहीं: नीलम चंद साँखला

रायपुर। शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर, के नव प्रवेशित छात्रों के मन में अभियांत्रिकी के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने और अभियांत्रिकी संबंधित विभिन्न जानकारियां देने हेतु 15 दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम का द्वितीय दिवस।

कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञान की देवी सरस्वती जी की वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। नीलम चंद सांखला जी, ( सदस्य, मानव अधिकार, छ.ग.), भूतपूर्व जिला न्यायाधीश एवं साथ ही मनीष मिश्रा (संयुक्त संचालक, छ.ग. मानव अधिकार) विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित थे।

कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत प्रोफेसर डॉ. एम. आर. खान (प्राचार्य जीईसी रायपुर ) और प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे (विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस) जी ने उक्त प्रमुख वक्ताओं को पौधे भेंट किए।

इसके पश्चात मनीष मिश्रा ने अपना वक्तव्य प्रारंभ किया, इसमें उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे बहुत से छात्र में अनुभवों की कमी होती है और महाविद्यालय छात्रों को उन कमियों को दूर करने का अवसर देता है। समय लौटकर नहीं आता समय का सदुपयोग करें।

उन्होंने नव प्रवेशित छात्रों को यह‌ भी बताया कि‌ हमारा वास्तविक जीवन , महाविद्यालय के जीवन से काफी बड़ा है, और महाविद्यालय के इन चार सालों से ही हमारे भावी जीवन का निर्माण होता है। छात्रों को 8.5 सीजीपीए से ऊपर स्कोर बनाएं रखने कि हिदायत दी ‌। अपनी बातों को समाप्त करते हुए उन्होंने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी जोर दिया।

इसके पश्चात नीलम चंद सांखला, सदस्य, मानव अधिकार आयोग, छत्तीसगढ़, जो कि एक प्रसिद्ध कवि भी हैं, उन्होंने मां सरस्वती को नमन करते हुए अपने सत्र की शुरुआत की । उन्होंने अपने वक्तव्य में विभिन्न विषयों का समावेश किया, उन्होंने कहा कि “विचार के बिना हमारा विकास संभव नहीं है। ईश्वर ने सभी को 24 घंटे ही दिए हैं, किंतु कोई सफल‌‌ होता है कोई असफल, फर्क है मस्तिष्क के उपयोग का। संत कबीर की प्रसिद्ध पंक्तियों को पढ़कर उन्होंने अपना वक्तव्य समाप्त किया, जिसमें कहा गया है, “कल करे सो आज कर, आज करे सो अब”। अंत में प्रोफेसर डॉ. एमआर खान (प्राचार्य जीईसी रायपुर ) और प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे (विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस) जी ने दोनों अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया, इस प्रकार पहला सत्र समाप्त हुआ।

दूसरे सत्र में रासेयो के स्वयंसेवकों ने विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के खेल खिलाते हुए गतिविधियों के द्वारा उन्हें पारस्परिक सहयोग की भावना और आपसी मेलजोल और तालमेल बनाये रखने के लिए “Caring and sharing” जैसे अतिमहत्वपूर्ण सीख दी । महाविद्यालय के विभिन्न क्लब ने अपने-अपने क्लब के विषय में जानकारी दी । प्रोफेसर डॉ. एम.आर. खान (प्राचार्य जीईसी रायपुर ) ने अपने उद्बोधन में छात्रों को सीखते और सिखाते रहने के लिए प्रेरित किया और कहा कि, किसी दूसरे को समझाने, बताने में अपनी विद्या बढ़ती है, जैसे रेत-सीमेंट को पानी पक्का करता है, वैसे ही दूसरों से ज्ञान साझा कर के खुद का ज्ञान पक्का होता है ।

प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे (विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस एवं समन्वयक, इंडक्शन प्रोग्राम 23-24) ने अपने वक्तव्य में छात्रों को कहा कि, हम फ़ोन भी मल्टी-टास्किंग वाला ही लेते हैं, सो ज़माना अब इसी मल्टी-टास्किंग पर आधारित है, आजकल कंपनियां भी मल्टी-टास्किंग वाले अभ्यर्थियों को लेना चाहती है, अतः आप अपना पोटेंशियल बढ़ाएं और मल्टी-टास्किंग कर सकें ऐसा खुद को बनायें, आप ज़रूर अपने क्षेत्र में अग्रणी बन जाएंगे।
धन्यवाद ज्ञापन में सुश्री शशिबाला किंडो ने उपस्थित सभी अतिथियों, पालकों, शिक्षकों, छात्रों, स्टाफ़ आदि को आभार व्यक्त कर किया। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी डॉ. अनिल माँझी एवं प्रशांत साहू ने मीडिया को जानकारी साझा करते हुए सूचना दी कि, उक्त कार्यक्रम प्रो. डॉ. एस. के. दबड़गाँव, प्रो. डॉ. एस. डी. दीवान, डॉ. रचना रस्तोगी, श्री अनिल खत्री, डॉ. आर. एन. देवांगन, डॉ. विनीत शुक्ला, डॉ. जी. आर. बंजारे, आशीष सिंह ठाकुर, टी. के. देवांगन, डॉ. आरती श्रीवास्तव आदि की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ ।

scroll to top