पितृ पक्ष का आरंभ बीते 21 सितंबर 2021 से हुआ था. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. पितृ पक्ष में पितरों का आभार व्यक्त किया जाता है. पितृ पक्ष 15 दिनों का होता है. इन 15 दिनों में पूर्वजों को यद किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं.
अष्टमी तिथि का श्राद्ध
पंचांग के अनुसार 29 सितंबर 2021, बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन अष्टमी की तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. इस दिन मान्यता के अनुसार उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जो अष्टमी की तिथि को देह का त्याग करते हैं.
अष्टमी तिथि का पंचांग
पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि का आरंभ 28 सितंबर 2021, मंगलवार को शाम 18 बजकर 16 मिनट से होगा. अष्टमी की तिथि का समापन 29 सितंबर 2021, बुधवार को रात 20 बजकर 29 मिनट पर होगा. इस दिन कुटुप मुहूर्त प्रात: 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है. कुटूप मुहूर्त को श्राद्ध के लिए अच्छा माना गया है. इसके साथ ही रोहिना मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 13 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. वहीं अपर्णा काल का मुहूर्त दोपहर 13 बजकर 22 मिनट से दोपहर 15 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के लिए कुटुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त को उत्तम माना गया है. माना जाता है. उसके बाद का मुहूर्त अपराह्न काल समाप्त होने तक रहता है.
इन बातों का ध्यान रखें
पितृ पक्ष में नियम और अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार विधि पूर्व श्राद्ध करने से पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही पितृ पक्ष में क्रोध, अहंकार, लोभ आदि से दूर रहना चाहिए. गलत आदतों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. पितृ पक्ष में दान आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है.
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