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नए संसद भवन के ‘शेर’ आक्रामक नहीं, यह देखने वाले की धारणा पर निर्भर

याचिका में कहा गया था कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के शीर्ष पर स्थापित भारत के राज्य चिन्ह में शेरों के डिजाइन में स्पष्ट अंतर है। इसमें सारनाथ संग्रहालय में संरक्षित राष्ट्रीय प्रतीक की तुलना में शेरों का रूप बदला हुआ प्रतीत होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन नए संसद भवन के ऊपर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक स्तंभ) भारत के राज्य प्रतीक अधिनियम, 2005 का उल्लंघन नहीं करता है। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका खारिज करते हुए कहा कि शेर कैसे दिखते हैं, यह देखने वाले की धारणा पर निर्भर करता है।

जस्टिस एमआर शाह और कृष्ण मुरारी की पीठ ने यह कहते हुए उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि यह प्रतिमा भारत के राज्य प्रतीक अधिनियम, 2005 के तहत अनुमोदित राष्ट्रीय प्रतीक की डिजाइन के विपरीत है।

मूर्ति में ‘सत्यमेव जयते’ का लोगो नहीं

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि नए प्रतीक चिंह में शेर अधिक आक्रामक प्रतीत होते हैं। इस पर जस्टिस शाह ने कहा, ‘यह धारणा उसे देखने वाले व्यक्ति के दिमाग पर निर्भर करती है।’ याचिकाकर्ता वकील ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय प्रतीक के स्वीकृत डिजाइन के संबंध में कलात्मक बदलाव या नयापन नहीं हो सकता है याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि मूर्ति में ‘सत्यमेव जयते’ का लोगो नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि अधिनियम का कोई उल्लंघन नहीं है। यह कहते हुए पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।

दो एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) अल्दानिश रीन और रमेश कुमार मिश्रा द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया था कि नया प्रतीक भारत के राज्य प्रतीक अधिनियम के तहत राज्य प्रतीक के विवरण और डिजाइन का उल्लंघन करता है।

चार शेर बुद्ध के चार मुख्य आध्यात्मिक दर्शन के प्रतीक

याचिका में कहा गया था कि संबंधित प्रतीक में शेर क्रूर और आक्रामक प्रतीत होते हैं, उनके मुंह खुले और कुत्ते दिखाई देते हैं जबकि इसे अशोक की सारनाथ स्तंभ के शेर के समान होना चाहिए, जो शांत हैं। याचिका में कहा गया है कि चार शेर बुद्ध के चार मुख्य आध्यात्मिक दर्शन के प्रतीक हैं, जो केवल एक डिजाइन नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और दार्शनिक महत्व है। याचिका की यह भी गया था कि राज्य के प्रतीक के डिजाइन में बदलाव इसकी पवित्रता का उल्लंघन करता है। इसमें किसी तरह का बदलाव स्पष्ट रूप से मनमाना है।

पीएम मोदी जुलाई में किया था अनावरण

पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को नए संसद भवन की छत पर स्थापित 21 फुट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण किया था। तबसे इसे लेकर विवाद चल रहा था। विपक्षी दल सम्राट अशोक की लाट के राजसी शान वाले शेरों की जगह ‘आक्रामक शेरों’ के चित्रण का विरोध कर रहे थे। भाजपा सरकार पर राष्ट्रीय प्रतीक के स्वरूप को बदलने का आरोप लगाया जा रहा था। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि सारनाथ स्थित अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है। तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा तंज कसा था, ‘सच कहा जाए, सत्यमेव जयते से संघीमेव जयते की भावना पूरी हुई।’

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