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कही-सुनी (2 OCT-2022) : मुरझाए कांग्रेसियों के चेहरे

रवि भोई की कलम से


दिग्विजय सिंह के अध्यक्ष बनने की संभावना से छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेस नेताओं के चेहरे खिल गए थे, लेकिन दिग्विजय सिंह के रेस से बाहर होने और मल्लिकार्जुन खड़गे की इंट्री से उनके सपनों पर पानी फिर गया। दिग्विजय सिंह संयुक्त मध्यप्रदेश में दस साल तक मुख्यमंत्री थे। छत्तीसगढ़ के कई नेता उनके साथ मंत्री और विधायक थे। यहां कई कार्यकर्ता भी दिग्विजय सिंह को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। इसकी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह की दावेदारी से यहां के कांग्रेसी गदगद हो उठे थे। कई तो अब राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधी बात और संपर्क कर सकने का संदेश एक-दूसरे को भेजने लगे थे। मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना से यहां के कार्यकर्ता ख़ास उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। कहा जा रहा है मल्लिकार्जुन खड़गे को दलित होने का फायदा मिल गया। खड़गे सुर्ख़ियों में भी नहीं रहते, जबकि दिग्विजय सिंह बयानों और सक्रियता के कारण लोगों और प्रतिद्वद्वियों की नजरों में रहते हैं।

रमन सिंह के पीछे गवर्नर पद का भूत

डॉ रमनसिंह को राज्यपाल बनाए जाने की खबर गाहे-बगाहे उड़ ही जाती है। वे शुक्रवार को दिल्ली गए तो उन्हें राज्यपाल बनाए जाने की कानाफुसी होने लगी। छत्तीसगढ़ के 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ रमनसिंह अभी राजनांदगांव के विधायक हैं और उन्हें राज्यपाल बनाए जाने से राजनांदगांव सीट खाली हो जाएगी और फिर उपचुनाव कराना पड़ेगा, क्योंकि एक साल तक तो कोई सीट खाली नहीं रखी जा सकती है। अब तक उपचुनाव के नतीजों के ट्रेंड से लगता नहीं भाजपा वहां कुछ कर पाएगी और कांग्रेस के हाथ में लड्डू आ जाएगा। ऐसे में भाजपा हाईकमान डॉ रमनसिंह को राज्यपाल बनाकर फिलहाल कोई मुसीबत मोल नहीं लेने वाला है। आगे क्या होता है, देखते हैं। यह सही है कि केंद्र सरकार आने वाले दिनों में अपने कुछ नेताओं को राज्यपाल बना सकती है, क्योंकि कुछ राज्यों में राज्यपाल के पद खाली हैं और दोहरे प्रभार पर चल रहे हैं। अक्टूबर में मेघालय व कुछ राज्यों के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।

पीसीसीएफ पद के लिए चली रस्साकशी

कहते हैं 1990 बैच के आईएफएस श्रीनिवास राव भी वन विभाग के मुखिया बनने की दौड़ में थे और एक लॉबी उन्हें वन प्रमुख बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था, लेकिन आखिरी दौर में बाजी पलट गई और 1987 बैच के आईएफएस संजय शुक्ला प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन प्रमुख बन गए। श्रीनिवास राव कैम्पा के प्रभारी हैं और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं, उन्हें जरूर पीसीसीएफ का वेतनमान मिल गया है। कहा जा रहा है कि श्रीनिवास राव को वन प्रमुख बनाने की स्थिति में पहले उन्हें पीसीसीएफ के पद पर पदोन्नत करना पड़ता, फिर कई आईएफएस अफसरों की वरिष्ठता को लांघकर उन्हें ऊंची कुर्सी देनी पड़ती, जिससे विभाग में बवाल मच जाता। चर्चा है कि श्रीनिवास राव को प्रमोट कर वन प्रमुख बनाने का प्रस्ताव तैयार हो गया था , लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संजय शुक्ला के नाम को हरी झंडी दे दी। छत्तीसगढ़ में पले-बढ़े होने के साथ संजय शुक्ला को सरकार में सचिव के तौर पर काम करने का अनुभव है।

सवाल राकेश चतुर्वेदी के पुनर्वास का

30 सितंबर को छत्तीसगढ़ के वन विभाग के प्रमुख पद से रिटायर हुए आईएफएस अधिकारी राकेश चतुर्वेदी का पुनर्वास लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनकी नियुक्ति को लेकर खींचतान की खबरें भी उड़ रही है। पहले पर्यावरण संरक्षण मंडल में अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति तय मानी जा रही थी और लग रहा था कि रिटायरमेंट के साथ ही नियुक्ति भी हो जाएगी, पर रिटायरमेंट के साथ उन्हें पद नहीं मिला। कहा जा रहा है कि एक लॉबी के विरोध के चलते पर्यावरण संरक्षण मंडल में अध्यक्ष पद पर राकेश चतुर्वेदी की नियुक्ति नहीं हो पाई। चर्चा है कि राकेश चतुर्वेदी को अपने पुनर्वास के लिए अभी कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा।

कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद हेरफेर संभव

कहा जा रहा है कि कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद कुछ जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। 8 और 9 अक्टूबर को कलेक्टर कांफ्रेंस है। माना जा रहा है कि कलेक्टर कांफ्रेंस में धान खरीदी की व्यवस्था और ख़राब सड़कों पर खास चर्चा हो सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाक़ात के जरिए जमीनी हकीकत से रूबरू हो रहे हैं, ऐसे में इस कलेक्टर कांफ्रेंस को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चर्चा है कि कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद 5-6 जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं। कलेक्टरों के साथ-साथ मंत्रालय में पदस्थ कुछ आईएएस भी इधर-उधर हो सकते हैं। कहते हैं फील्ड में लंबे समय तक तैनात कुछ अफसर मंत्रालय और निगम मंडलों में सहज नहीं हो पा रहे हैं , ऐसे अफसर फिर से फील्ड में जाने की जुगत में हैं। अब देखते हैं उनकी रणनीति कामयाब होती है या नहीं।

मोहन मरकाम की पद यात्रा

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम लगातार यात्रा में लगे हैं। मोहन मरकाम मनोकामना पदयात्रा के बाद अब दो अक्टूबर से भारत जोड़ो यात्रा निकालेंगे। कहा जा रहा है कि राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा छत्तीसगढ़ आ रही है, इस कारण उनके संदेश को छत्तीसगढ़ के लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पदयात्रा निकालेंगे। यह पदयात्रा राहुल गांधी की पदयात्रा तक चलेगी और बूथ स्तर तक जाएगी। पदयात्रा के बहाने ही सही मोहन मरकाम और कांग्रेस की राज्य में सक्रियता बनी रहेगी।

गंगरेल डेम में भाजपा का चिंतन

प्रदेश भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए छह अक्टूबर को गंगरेल डेम धमतरी में चिंतन -मनन करेगी। अरुण साव के प्रदेश अध्यक्ष और नारायण चंदेल के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भाजपा का यह पहला चिंतन शिविर होगा। चिंतन शिविर में प्रदेश पदाधिकारी और प्रभारी समेत 50 लोग ही रहेंगे। इसमें नए प्रभारी महासचिव ओमप्रकाश माथुर के शामिल होने की संभावना नहीं है। 2018 विधानसभा चुनाव के पहले बारनयापारा में जंगलों के बीच चिंतन शिविर आयोजित किया गया था। चिंतन शिविर में बिलासपुर में महिला मोर्चा के प्रस्तावित धरने और सरगुजा में होने वाले कार्यक्रम की तैयारी पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। अब देखते हैं भाजपा के चिंतन शिविर से क्या निकलता है और 2023 में जीत का लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं?

कलेक्टर साहब का महिला प्रेम

छत्तीसगढ़ के एक जिले के कलेक्टर साहब का महिला प्रेम चर्चा में है। कहते हैं कोई महिला अफसर यहां तक की कोई पटवारी या क्लर्क भी कलेक्टर साहब से मिलने जातीं हैं तो उन्हें बैठने के लिए कुर्सी आफर करते हैं और उनका हाल-चाल भी पूछते हैं और कोई पुरुष अफसर उनसे मिलने जाता है तो न उन्हें बैठने के लिए कहते हैं और न ही उनका सुख-दुख पूछते हैं। कलेक्टर साहब का यह रवैया पूरे जिले में चर्चा का विषय बना है।

 


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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