रायपुर, छत्तीसगढ़ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एग्री कार्निवाल मैन उपस्थित राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान संस्थानों में हो रहे अनुसंधान कार्यों का लाभ किसानों तथा आम जनता को मिलना चाहिए, तभी उनकी सार्थकता है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन कृषि प्रौद्योगिकी, नवीन फसल प्रजातियों, कृषि यंत्रों एवं अन्य अनुसंधानों से छत्तीसगढ़ के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और निरंतर विकास की राह पर बढ़ रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि कृषि विकास के लिए कृषि अनुसंधान का लाभ फील्ड स्तर पर सभी किसानों को अवश्य मिलना चाहिए। नई तकनीकों, उन्नत प्रजाति के फसलों एवं नवीन कृषि उपकरणों की पहुंच उन तक होनी चाहिए। ऐसे में नवीन कृषि अनुसंधानों एवं प्रौद्योगिकी को किसानों एवं आम जनता तक पहुंचाने में एग्री कार्नीवाल जैसे आयोजनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
समापन समारोह की मुख्य अतिथि; राज्यपाल सुश्री उइके
राज्यपाल सुश्री उइके यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा राज्य शासन के कृषि विभाग, छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी, अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला (फिलीपींस), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), कंसल्टेटिव ग्रुप ऑफ इन्टरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), एनएबीएल तथा अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई ‘‘एग्री कार्नीवाल 2022’’ के समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थी। उन्होंने इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित अनुसंधान गतिविधियों का जायजा भी लिया।
उन्होंने युवा पीढ़ी की कृषि विकास में उल्लेखनीय भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि युवा-पीढ़ी कृषि से दूर होती जा रही है। इसलिए कृषि में हो रहे नए-नए अनुसंधान और नई तकनीकों से युवाओं को परिचित करना होगा ताकि कृषि विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी कृषि विकास के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की है। जिसका लाभ युवाओं और किसानों को अवश्य लेना चाहिए।
सुश्री उइके ने कहा छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” नाम से विशेष पहचान मिली
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा नाम से विशेष पहचान मिली है।अब छत्तीसगढ़ को विविध फसलों के उत्पादन में भी अपनी पहचान बनानी होगी। इसके लिए उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी होगी।राज्यपाल ने कहा कि हमारे किसानों को बड़े स्तर पर समन्वित कृषि की ओर बढ़ना होगा। तभी हमारे ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। साथ ही इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही नवीन योजनाओं एवं विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की उन्होंने सराहना की।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल एवं कृषि प्रधान राज्य है। यहां की कृषि अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए खेती में नवीनतम कृषि तकनीक, मशीनरी, उन्नत बीज, आधुनिक तरीके से खेती और सिंचाई के उन्नत उपायों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किए जाने की आवश्यकता है। यहां के आदिवासी अपने जीवन यापन हेतु वनोपज और कृषि पर मुख्य रूप से निर्भर हैं। इनके उत्थान हेतु कार्य करना एवं इन्हें मुख्य धारा में शामिल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने जलवायु परिवर्तन का भी उल्लेख करते हुए कहा कि आज के दौर में भारतीय उपमहाद्वीप में हजारों ग्लेशियर पिघलने की स्थिति में हैं। इससे करोड़ों की आबादी प्रभावित होगी। इनसे न केवल पीने के पानी की समस्या होगी बल्कि बाढ़ का खतरा आदि की समस्या भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को हम-आप सभी रोज ही महसूस कर रहे हैं। मौसम में परिवर्तन और ऋतुओं का चक्र अनियमित हो गया है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन मनुष्य के लालच का परिणाम है। इसलिए हमें संसाधनों के बेतहाशा दोहन से बचना होगा। महात्मा गांधी के कथन का उल्लेख करते हए उन्होंने कहा कि ‘‘प्रकृति मानव की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है, किन्तु हर मनुष्य के लालच की पूर्ति नहीं करती।’’ इस दिशा में सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय को नहीं बल्कि हम सभी को सोंचना और सार्थक प्रयास करना होगा।
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को हमेशा से माता का दर्जा दिया गया है। किन्तु अब औद्योगिकीकरण, आधुनिकीकरण के कारण प्रकृति का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है।किंतु इसके लिए विशेष उपाय नहीं किये जा रहे हैं। जिसके भयावह दुष्परिणाम अब गांवों में भी देखे जा रहे हैं। भूजल का स्तर नीचे जाने से खेतों में सिंचाई के लिए एवं पीने के पानी के लिए परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हालात अभी नियंत्रण में हैं परंतु शीघ्र ही हमें इसके लिए बड़े निर्णय लेने होंगे।हम सबको प्रकृति एवं पर्यावरण के संरक्षण पर गंभीरतापूर्वक सोचना पड़ेगा। उन्होंने इस दिशा में वहां उपस्थित विद्वानों से सार्थक प्रयास करने की इच्छा जताई।
मड़ई के सफल आयोजन सभी किसानों और उद्यमियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं
उन्होंने कहा कि इन चार दिनों से यहां आयोजित विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशाला, संगोष्ठियों में शामिल होकर आपको छत्तीसगढ़ में हो रहे अनुसंधानों और यहां की स्थानीय कृषि पद्धतियों, फसलों की प्रजातियों आदि के संबंध में किसानों एवं लोगों को जानकारी प्राप्त हुई होगी। इस मड़ई के आयोजन से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे कृषि अनुसंधान, फसल की नई प्रजातियों की खोज, कृषि क्षेत्र में उद्यमिता विकास का लाभ निश्चित रूप से यहां के कृषक भाई-बहनों और स्वसहायता समूहों को मिलेगा। इस सम्मेलन से छत्तीसगढ़ के किसान भाईयों-बहनों, उद्यमियों और वैज्ञानिकों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इस मड़ई के सफल आयोजन के लिए उन्होंने इसमें शामिल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों, महिला स्वसहायता समूहों, किसानों और उद्यमियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
प्रतिभागियों को नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत एवं सम्मानित किया
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कृषि के विकास में हमारे छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कृषि क्षेत्र सर्वाधिक रोजगार उत्पन्न करता है। ऐसे में इसका विकास अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह कार्निवाल किसानों को निश्चित रूप से लाभन्वित करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों का मेहनत, कृषि संसाधन और अनुसंधान क्षेत्र में प्रगति, इन तीनों का समन्वित प्रयास ही कृषि क्षेत्र के विकास को निर्धारित करता है।
इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आई.जी.के.वी एवं छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी द्वारा नवीन स्टार्टअप एवं नवाचारी विचार हेतु तीन प्रतिभागियों को नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत एवं सम्मानित किया ।
इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति श्री गिरिश चंदेल ने विश्वविद्यालय के गतिविधियों एवं उपलब्धियों से राज्यपाल को अवगत कराया। साथ ही कृषि विभाग के सचिव श्री कमलप्रीत सिंह, एन.ए.बी.एल के सी.ई. ओ डॉ. एम. वेंकटेश्वरन एवं केन्या से आई कृषि वैज्ञानिक डॉ. रूथ मूसीला ने भी सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान फिलीपींस के डॉ. हंस भारद्वाज भी उपस्थित थे।