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कही-सुनी (29-MAY-22): राज्यसभा के लिए एक बाहरी और एक स्थानीय का फार्मूला ?

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के दो नेता राज्यसभा जाएंगे। कहते हैं छत्तीसगढ़ के कोटे से एक राष्ट्रीय नेता राज्यसभा जाएंगे और एक स्थानीय नेता। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 मई है। चुनाव 10 जून को होने हैं, पर छत्तीसगढ़ में चुनाव की नौबत नहीं आएगी , क्योंकि कांग्रेस के 71 विधायक हैं और भाजपा के मात्र 14 विधायक हैं। बसपा और जोगी कांग्रेस भी कोई गणित नहीं बिगाड़ पाएंगे। राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में पी. चिदंबरम, रणदीपसिंह सुरजेवाला, जयराम रमेश, अजय माकन समेत कई नाम चल रहे हैं, तो स्थानीय नेता में गिरीश देवांगन, विनोद वर्मा, शकुन डहरिया, पी आर खूंटे, रवि भारद्वाज, लेखराम साहू, भोला राम साहू समेत कई नाम हैं।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ के लिए 29 या 30 मई को राज्यसभा प्रत्याशी की घोषणा करेगी। चर्चा है कि कांग्रेस हाईकमान ने राज्यसभा के लिए प्रत्याशी तय करने के वास्ते प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को बुलाया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही अपनी राय दे दी है, फिर अंतिम निर्णय से पहले मुख्यमंत्री से हाईकमान चर्चा करेगा। संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस मसले पर हाईकमान मुख्यमंत्री से वन-टू -वन बात करेगा।

प्रेम दीवाने सांसद-विधायक

जब किसी से प्रेम होता हैं तब दिल न अपने दिमाग की सुनता हैं न ज़माने की सुनता हैं, बस प्रेम के रंगों में रंग जाता हैं, चर्चा है कि ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के दो सांसद और एक विधायक ने जमाने की परवाह न कर निज सहायक और पीएसओ को दिल दे बैठे हैं। कहते हैं कि मैदानी इलाके की एक विधायक ने अपने निज सहायक को दिल दे बैठीं हैं। निज सहायक शादी-शुदा बताए जाते हैं। ये 2018 के चुनाव में एक कद्दावर नेता को मात देकर प्रदेश में ध्रुव तारे की तरह चमकी। खबर है कि एक सांसद ने अपने निज सहायक की पत्नी को अपना लिया है, तो एक सांसद ने अपने पीएसओ को ही सुख-दुख का साथी बना लिया है। कहा जाता है प्रेम दीवाने सांसद अलग-अलग कारणों से सुर्ख़ियों में आते रहते हैं।

कलेक्टर साहब के दरबार में कतार

कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी क्षेत्र के जिला मुख्यालय में कलेक्टर साहब के दरबार के सामने लंबी कतार लगती है। चर्चा है कि ये कतार जिला खनिज निधि ( डीएमएफ) से काम पाने वालों की होती है, जो राजधानी रायपुर से फोन करवाकर वहां पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जिसके लिए रायपुर से फोन नहीं जाता, उसे डीएमएफ से काम नहीं मिलता। खबर है कि इस जिले में जिला खनिज निधि ( डीएमएफ) का बजट करीब 700 करोड़ रुपए सालाना है। कहा जा रहा है कि नए साल के लिए डीएमएफ का बजट आबंटित हो गया है। इस कारण मई महीने में कलेक्टर साहब के चैंबर के सामने डीएमएफ से काम पाने वालों का हुजूम कुछ ज्यादा ही लगा रहा। एक जमाना था जब राशन दुकानों, सिनेमा और ट्रेन की टिकटों के लिए लंबी -लंबी लाइन लगा करती थी। ज़माना बदल गया है ।

तीन ‘टी’ के फेर में विधायक

कहते हैं छत्तीसगढ़ के कई विधायक इन दिनों तीन ‘टी’ के फेर में में पड़े हैं , याने ट्रांसफर, टेंडर और टिकट। राज्य में करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि 2023 में जीत के लिए कांग्रेस-भाजपा के कई विधायकों की टिकट कटेगी। खासतौर से नए विधायकों पर खतरा ज्यादा मंडरा रहा है , जो लहर में जीत गए। खबर है कि कई विधायकों को अब टिकट की चिंता सताने लगी है, वहीं विधायकी जाने से पहले कुछ कमा-धमा लेना चाहते है ,जिसके लिए कुछ सरकारी टेंडर जुगाड़ करने के साथ ही अपने चहेतों का ट्रांसफर पसंदीदा और मलाईदार जगह पर करा लेना चाहते हैं। सरकार है कि ट्रांसफर पर बेन नहीं हटा रही है।

कुलपति जी बच गए,कुलसचिव साहब की कटी गर्दन

कहते हैं रविशंकर विश्वविद्यालय की संपत्ति की कुर्की के मामले में कुलपति केशरीलाल वर्मा एक कांग्रेसी नेता के दूर के रिश्तेदार होने के कारण बच गए लेकिन कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पांडे एक कांग्रेसी नेता का चेला होने के बाद भी नहीं बच पाए। वैसे कुलपति जी को लेकर राजभवन की तरफ सबकी निगाह है, क्योंकि कुलपति पर एक्शन का अधिकार राज्यपाल को है। खबर है कि मुख्य सचिव और उच्च शिक्षा विभाग के सचिव ने कुर्की के मामले की समीक्षा के बाद कुलसचिव को लापरवाही के आरोप में रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक मुखिया के पद से चलता कर दिया। सरकार ने श्री पांडे की जगह उप कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल को प्रभार दिया है,उन्हें वेटिंग कुलसचिव माना जा रहा है। कहा जा रहा है शैलेन्द्र पटेल जल्द कुलसचिव के रूप में पदोन्नत होने वाले हैं,फिर उनकी ताजपोशी हो जाएगी।

सिंचाई विभाग का ही सूख गया बांध

कहते हैं राज्य के सिंचाई याने जल संसाधन विभाग में प्रमोशन पर हाईकोर्ट का ऐसा स्टे लग गया है कि सीनियर लेवल पर अफसरों का अकाल पड़ गया है। इस कारण विभाग में सब कुछ तदर्थवाद पर आ टिका है। विभाग के मुखिया से लेकर कई अफसर एडहाक पर चल रहे हैं। विभाग में अभी इंद्रजीत उइके और जयंत पवार ही नियमित चीफ इंजीनियर हैं। भूपेश सरकार ने पहले जयंत पवार को प्रभारी ईएनसी बनाया, उन्हें बदलकर अब इंद्रजीत उईके को प्रभारी ईएनसी बना रखा है।

खबर है कि विभाग में कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण अभियंता और अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता का प्रमोशन पिछले करीब तीन साल से अटका पड़ा है। माना जा रहा कि 2023 के बाद प्रमोशन का मामला सुलझ सकता है, क्योंकि तब तक कोर्ट जाने वाले ही रिटायर हो जाएंगे। कहा जा रहा है कि अफसरों की कमी से जल संसाधन विभाग के काम ठप हो गए। स्वाभाविक है बांध में पानी नहीं होगा तो सिंचाई नहीं होगी , ऐसे में फसल कैसे लहलहाएगी ?

भाजपा में सूट की राजनीति

छत्तीसगढ़ भाजपा में इन दिनों सूट की राजनीति छाई है। कहते हैं सूट की राजनीति को पार्टी के एक ओबीसी नेता जबर्दस्त हवा देने में लग गए हैं। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक के दौरान गलियारों में पद मिलने से पहले भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा दिल्ली में सूट सिलवाने का मुद्दा गर्म रहा। माना जा रहा है कि यह ओबीसी नेता प्रदेश अध्यक्ष बनने की चाहत रखते हैं , ऐसे में उनके ही पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा ताजपोशी से पहले तैयारी किए जाने की खबर से दर्द होना स्वाभाविक है। भाजपा के एक बड़े नेता ने ही दिल्ली में पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा पद मिलने से पहले ही दिल्ली में सूट सिलवाने पर कटाक्ष किया था।

भाजपा में रमन गुट का दबदबा

कहते हैं प्रदेश भाजपा की राजनीति में डॉ. रमनसिंह का खेमा एक बार फिर ताकतवर हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ साल पूरे होने पर 30 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाले कार्यक्रम की समिति में बृजमोहन अग्रवाल का खेमा नजर नहीं आ रहा है। कार्यक्रम के संयोजक बिलासपुर के सांसद अरुण साव बनाए गए हैं। दिनेश कश्यप,उषा टावरी,अशोक पांडे,भारतसिंह सिसोदिया और विधायक सौरभ सिंह कार्यक्रम के सह संयोजक हैं। सौरभ सिंह को डॉ. रमनसिंह का समर्थक माना जाता है। डॉ. रमनसिंह की मदद से ही सौरभ सिंह भाजपा में आए और 2018 में उन्हें विधायकी की टिकट मिली। अशोक पांडे को पूर्व मंत्री राजेश मूणत का काफी करीबी कहा जाता है। मोदी के सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को जन-जन तक पहुँचाने वाले कार्यक्रम में न तो बृजमोहन अग्रवाल हैं और न ही प्रेमप्रकाश पांडे और न ही शिवरतन शर्मा या नारायण चंदेल।


(-लेखकपत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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