भारत में पहचान का सबसे बड़ा प्रमाण पत्र या डॉक्यूमेंट आधार है और देश में हरेक नागरिक इस पहचान के प्रमाण पत्र को अपने पास रखता है और जिनके पास ये नहीं है वो भी इसे बनवाने की कवायद में लगे रहते हैं. हालांकि अब भारत का ये आधार प्रोग्राम ग्लोबल बनने की राह पर है और इसमें विश्व के कुछ देशों ने रूचि दिखाई है जिससे वो भी अपने यहां पहचान के प्रमाण पत्र के रूप में ऐसा ही एक डॉक्यूमेंट ला सकें.
सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई देशों ने भारत से संपर्क किया है जिसके तहत वो जान सकें कि कैसे भारत ने अपने नागरिकों को एक डिजिटल पहचान दिलाई है. कुछ देशों ने आधार मॉडल को ही अपने यहां अपनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए भी भारत सरकार या आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI से संपर्क साधा है.
भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों के जरिए आधार हो रहा है जारी
भारत के आधार प्रोग्राम को अन्य देशों में दोहराए जाने की संभावना इसलिए भी है क्योंकि इस AADHAAR के जरिए भारत पहचान के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को विकसित कर रहा है और इस पर कई देशों का ध्यान गया है.
भारत सरकार का क्या है कहना
केंद्रीय सूचना एवं तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत में लोगों का जीवन बदलने में आधार ने बहुत अहम भूमिका निभाई है. चाहे वो फंड ट्रांसफर हो या सब्सिडी ट्रांसफर-या फिर सरकार के जरिए किए जा रहे किसी भी ट्रांसफर का मामला हो. अब हमें ये देखना है कि आधार के जरिए हम आगे और क्या कर सकते हैं पर इसके साथ ही पहचान के अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड या मानकों पर भी हमें नजर रखनी है.
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