दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को एक बार फिर से झटका लगने वाला है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापन के रूप में प्रकाशित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आम आदमी पार्टी से ₹97 करोड़ वसूलने के आदेश दिए हैं। एलजी ने आदेश दिया है कि आम आदमी पार्टी से ₹97 करोड़ ब्याज समेत वसूले जाएं। एलजी कार्यालय की ओर से जारी आदेश में मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को लागू करने को कहा गया है।
दिल्ली LG ने यह भी निर्देश दिए हैं कि विज्ञापन जारी करने वाली ‘SHABDARTH’ को निजी व्यक्तियों के बजाय सरकारी अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाए। दरअसल, उपराज्यपाल का यह निर्देश, 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2016 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश और 2016 के CCRGA के आदेश के मद्देनजर आया है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी लगातार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है।
विपक्ष को निशाना बनाने का दोषी पाया
इस मामले में कोर्ट के 2016 के आदेश पर उपराज्यपाल ने विज्ञापन नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति को जांच में गलत पाए गए विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि का आकलन करने को कहा था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों में AAP का जिक्र करने, मुख्यमंत्री के विचारों का विज्ञापन जारी करने और विपक्ष को निशाना बनाने का दोषी पाया था।
आदेश में कहा गया है कि चार कैटेगरी के विज्ञापनों पर केजरीवाल सरकार ने ₹97 करोड़ खर्च किया है। इनमें से ₹42 करोड़ से ज्यादा का भुगतान पहले ही संबद्ध एजेंसियों को किया जा चुका है। इस चलते उपराज्यपाल ने कुल ₹97 करोड़ तत्काल प्रभाव से सरकारी खजाने में जमा कराने को कहा है।
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