रायपुर। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का कामकाज दोबारा संभालने वाले सियाराम साहू ने अपने कक्ष का ताला नहीं खोले जाने से नाराज होकर जमीन पर ही बैठकर सुनवाई शुरू कर दी है।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सियाराम साहू को विछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। मगर भूपेश सरकार ने कार्यकाल खत्म होने के पहले ही सियाराम साहू को हटाकर उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी। इसके खिलाफ सियाराम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया।
जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं इसलिए…
सियाराम साहू ने समवेत सृजन को बताया कि लगभग 15 दिनों पहले उन्होंने कार्यभार संभाला था। तब भी उनके चैम्बर का ताला बंद था। विभाग के सचिव से वह दो बार मिल चुके हैं। उनसे मिले आश्वासन के बावजूद कक्ष का के ताले नहीं खुले। तब उन्होंने तय किया कि वह जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं इसलिए जमीन पर ही बैठ कर काम करेंगे। आज सोमवार से उन्होंने अपना कामकाज शुरू कर दिया है। उन्हें कार्यालय के स्टाफ का भी सहयोग नहीं मिल रहा है।
अर्जियां मिलनी शुरू हुई
पिछड़ा वर्ग आयोग में बतौर अध्यक्ष काम शुरू करने के पहले दिन ही फरियादियों का सियाराम साहू से मिलना शुरू हो गया है। इस दौरान पिछड़ा वर्ग का लाभ नहीं मिलने, आरक्षण में गड़बड़ी और प्रताड़ना जैसी शिकायतों की अर्जियां अध्यक्ष के समक्ष पेश हुई हैं। इस दौरान सियाराम साहू के साथ उनके समर्थक भी जमीन पर बैठे रहे।
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