कायदे से खून लाल होता है लेकिन खून भी कभी-कभी सफेद पड़ जाता है डर के मारे .इसी तरह झूठ का रंग हमेशा से काला ही होता आया है लेकिन जब सरकार झूठ बोलना चाहती है तो झूठ का रंग सफेद हो जाता है .आज की सियासत की ये हकीकत है.सियासत श्वेत-श्याम के बीच झूल रही है .देश के नए स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने जब कोरोनाकाल में आक्सीजन की कमी से एक भी मरीज के न मरने का बयान दिया तो उनके झूठ का रह सफेद ही था .
आदमी जब सफेद बोलता है तो उसका चेहरा स्याह हो जाता है.मनसुख भाई का चेहरा भी स्याह नजर आ रहा था,लेकिन वे बेचारे क्या करते ?सरकार चाहती थी कि वे सफेद झूठ बोलें सो वे बोले .आखिर उन्होंने सरकार के सुर में बोलने के लिए ही तो संविधान की शपथ ली थी ,वरना उन्हें क्या पता कि हकीकत क्या है ?वे तो जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले ही देश के स्वास्थ्य मंत्री बने हैं.उनसे पहले जो भी काला-पीला हुया वो सब डॉ हर्षवर्धन को मालूम है .
मनसुख भाई हालाँकि अभी पूरे पचास साल के नहीं हुए हैं लेकिन उनके पास झूठ बोलने का पर्याप्त अबुभव है. वे राज्य सभा के लिए दूसस्री बार चुने गए हैं. इससे पहले वे गुजरात विधानसभा के सदस्य, दो बार राज्य में मंत्री और राज्य भाजपा के महामंत्री रह चुके हैं .वे जानते हैं कि झूठ बोलना सियासत में पाप नहीं पुण्य का काम है .सरकार के लिए झूठ बोलने में ही लोकहित होता है .मनसुख भाई यदि सफेद झूठ न बोलते तो सरकार का मुंह काला हो जाता.जो कोरोनाकाल की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की कमी की वजह से असंख्य मौतों की वजह से पहले ही स्याह पड़ा हुआ है .वो तो देश की सबसे बड़ी अदालत हस्तक्षेप न करती तो पता नहीं क्या परिदृश्य हुआ होता .
मुमकिन है कि आपने टीवी न देखा हो ,अखबार न पढ़ा हो इसलिए हम आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि ‘राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है।मंडाविया ने यह भी कहा कि हमने किसी राज्य को कोरोना से जुड़े आंकड़ों में छेड़छाड़ करने का दबाव नहीं बनाया। केंद्र सरकार का काम सिर्फ डेटा को राज्यों से इकट्ठा करके पब्लिश करने का है। हमने कभी किसी राज्य को डेटा से छेड़छाड़ करने के लिए नहीं कहा। ऐसा करने का कोई कारण नहीं है। मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में भी प्रधानमंत्री ने यही बात कही थी।’
सरकार की और से मनसुख भाई ने जो सफेद झूठ कहा है उसके बाद अब विपक्ष को कोई अधिकार नहीं है कि वो संसद में इस मुद्दे पार श्वेतपत्र जारी करने की मांग करे .आखिर एक निर्वाचित सरकार है,जनादेश से बनी सरकार है,खरीद-फरोखत कर बनाई गयी सरकार नहीं है,इसलिए वो जो कह रही है उस पर देश को ही नहीं बल्कि दुनिया को भी यकीन करना ही पडेगा .करना ही चाहिए क्योंकि सरकार का तो कोई आदमी आक्सीजन की कमी से मरा नहीं. मरे तो गवैये राजन मिश्र थे आक्सीजन की कमी से.मरे तो काशी वाले छन्नू लाल मिश्र के परिजन थे,आक्सीजन की कमी से मरे तो ग्वालियर में भाजपा के नेता राजकुमार बंसल थे .ये सबऔर उनके परिजन यदि मनसुख भाई के दावे को मान लें तो पूरा देश मान लेगा .
सरकार ने अकेले मनसुख भाई से सफेद झूठ नहीं बुलवाया बल्कि नए -नवेले स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती परवीन पवार से भी सफेद झूठ बुलवाने में कामयाबी हासिल की .स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों का विषय है। इसके बाद भी केंद्र सरकार ने उनकी बहुत मदद की है। सभी राज्यों तक ऑक्सीजन सप्लाई पहुंचाई गई है। डॉ. भारती ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में रोजाना 3095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी, जबकि दूसरी लहर में रोजाना 9000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। केंद्र ने राज्यों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अच्छा फ्रेमवर्क तैयार किया था।
देश में आक्सीजन की कमी नहीं है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी खामखां काशी में ऑक्सीजन कारखाने का उद्घाटन कर रहे हैं. खामखां औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन बनाने वाले कारखानों ने दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों के लिए आक्सीजन गैस बनाई .लोगों ने सरकार को बदनाम करने के लिए ऑक्सीजन के सिलेंडर ब्लैक में खरीदे .मुमकिन है कि इसके लिए कांग्रेस ने देश भर में लोगों को वित्तीय इमदाद भी दी हो ?
One Comment
Comments are closed.